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कल्पना की मेहनत रंग लाई: पढ़ाई के लिए मां ने बेचे गहने, पिता हैं ऑटो चालक और बेटी ने किया टॉप

  • Edited By Janvi Bithal,
  • Updated: 28 Mar, 2021 01:05 PM
कल्पना की मेहनत रंग लाई: पढ़ाई के लिए मां ने बेचे गहने, पिता हैं ऑटो चालक और बेटी ने किया टॉप

कहते हैं अगर दिल में किसी चीज को पाने का जज्बा हो तो मुश्किल से मुश्किल काम भी आसान हो जाता है। जरूरी नहीं कि आपके पास सभी चीजें हो लेकिन आप उन चीजों के ना होने पर पूरी जिंदगी रो तो नहीं सकते हैं। अगर आपने सोच लिया है कि आपको कुछ पाना है तो आपको दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती है। आज हम आपको जिस बच्ची की कहानी बताने जा रहे हैं उससे भी आपको काफी प्रेरणा मिलेगी।

बिहार 12वीं रिजल्ट में लड़कियों ने मारी बाजी

दरअसल हाल ही में बिहार 12वीं का रिजल्ट आया है। परीक्षाओं का जब भी रिजल्ट आता है तो उसमें लड़कियां ही बाजी मारती है। इस बार भी लड़कियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। इन्हीं में नाम शामिल है बिहार के 12वीं बोर्ड में चौथा स्थान पाने वाली कल्पना कुमारी का। बता दें कि कल्पना ने साइंस वर्ग में टॉप किया है।

पिता हैं ऑटो चालक

आज कल्पना का नाम हर किसी की जुबां पर है लेकिन कल्पना के लिए यह आसान नहीं था। कल्पना के माता-पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं है। परिवार की भी हालत ठीक नहीं है। पिता बेहद मुश्किल से घर का गुजारा करते हैं। कल्पना भाई बहनों में सबसे छोटी हैं। कल्पना के परिवार की हालत ठीक नहीं है उनके पिता ऑटो चलाकर मुश्किल से घर का गुजारा करते हैं।

मां ने बेच दिए अपने गहने

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कल्पना के माता-पिता बेशक खुद पढ़े लिखे नहीं है लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी बच्चियों को पढ़ने से इंकार नहीं किया। एक समय ऐसा भी आया जब उनके पास देने के लिए पैसे नहीं थे लेकिन ऐसी स्तिथि में भी कल्पना के माता पिता ने कर्ज नहीं लिया बल्कि मां ने अपने 15 हजार के गहने बेच दिए और 8 हजार रूपए भी बेच दिए ताकि वह अपनी बेटियों को पढ़ा सकें और उन्हें पढ़ाई में किसी भी चीज की कमी न हो। बता दें कि कल्पना का बड़ा भाई भी है जो एयरफोर्स के लिए तैयारी कर रहा है। वहीं कल्पना के साथ उनकी बहन अर्चना ने भी इस बार परीक्षा दी थी।

सिविल सर्विसेज में जाने का है सपना

कल्पना की मानें तो अब वह आगे और पढ़ना चाहती है और ग्रेजुएशन के बाद सिविल सर्विसेज में जाना चाहती हैं। आज कल्पना अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता, अपने गुरू और अपने भाई बहनों को देती है। वहीं बेटियों की इस सफलता पर मां-बाप भी बहुत खुश हैं। उनका भी यही सपना है कि उनकी बेटियां आगे पढ़ें वह उनके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं।

सच में आज कल्पना के माता-पिता उन सभी के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है जो अपनी बेटियों को पढ़ने नहीं देते हैं और उनकी शादी कर देते हैं। आपके द्वारा बढ़ाया गया एक कदम ही समाज को बदल सकता है। हम कल्पना की मेहनत और जज्बे को भी सलाम करते हैं।

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