कहते हैं जिदंगी में अगर कुछ भी पाना हो तो उसके लिए बुलंद हौसले होने चाहिए क्योंकि अगर हमारे हौसले बुलंद होगें तभी हमें जीत हासिल होगी। एक ऐसी ही मिसाल पेश की 28 साल की युवती ने जिसके हौसलें को तो आंनद महिंद्रा ने भी सलाम किया।
बिना हाथों से कार चलाने वाली एशिया की बनी पहली महिला
केरल के गांव करीमनूर कि रहने वाली जिलोमोल के बचपन से ही दोनों हाथ नहीं है़ लेकिन इस के बावजूद भी उनके मन में हमेशा यही चाह थी कि उसे कार ड्राईव करनी है और इसी बुलंद हौसले के चलते वे एशिया की पहली महिला बनी जो बिना हाथों के कार चलाती है। उन्हें हाथ न होने के बावजूद भी लाइसेंस प्राप्त है।
बचपन से था कार चलाने का शौंक
दरअसल जिलोमोल का बचपन से एक ही सपना था कि उसे कार चलानी है हालांकि घर के बाकी सदस्यों को कार चलानी नहीं आती थी।
पैरों से करती है ड्राइविंग
लोग जिलोमोल के ज्जबे को सलाम कर रहे हैं वे पैरों से बहुत अच्छे से कार ड्राइव कर लेती है। वे कार को स्टार्ट करने के लिए घुटने और पैरों का इस्तेमाल करती हैं। वे उन सब के लिए एक मिसाल है जो दिव्यांग होने के बाद खुद से सारी उम्मीदें खो देते हैं।
दिव्यांग होने की कभी परवाह नहीं की
इतना ही नहीं जिलोमोल पढ़ाई में भी हमेशा आगे रही और उन्होंने कभी खुद को दूसरों से कम नहीं समझा यही वजह है कि आज सफलता उनके कदमों में है़। कार चलाने के साथ साथ उन्हें पेंटिंग करना भी बहुत पंसद है़।
कार को सीखने के लिए माता पिता को मनाना पड़ा
वहीं जिलोमोल के अनुसार कार चलाना आसान था लेकिन घर वालों से इसकी अनुमति लेना मुशिकल क्योंकि हाथ न होने के कारण माता पिता चिंता में रहते इसलिए मम्मी पापा को मनाना बहुत मुशिकल था।
आनंद महिंद्रा ने भी की तारीफ
जिलोमोल के साहस की तारीफ आनंद महिंद्रा ने भी की उन्होंने अपने ट्वीटर अंकाउट के जरिए उनके साहस को सहारा।