नारी डेस्क: गुइलेन-बैरे सिंड्रोम इस बीमारी के बारे में कई लोग अंजान हैं, लेकिन पुणे में इसने आतंक मचा दिया है। इसने अब तक 73 लोगों को प्रभावित किया है, जिनमें से 14 वेंटिलेटर पर हैं। GBS के लक्षणों में दस्त, पेट दर्द, बुखार और मतली या उल्टी शामिल हैं। यह आमतौर पर शरीर की परिधीय नसों (peripheral nerves) को प्रभावित करता है और कमजोरी, झुनझुनी, और यहां तक कि मांसपेशियों के लकवे (paralysis) का कारण बन सकता है। यह स्थिति अचानक होती है और गंभीर हो सकती है, लेकिन समय पर इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
क्या है गुलेन बैरी सिंड्रोम
गुलेन बैरी सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है, जो शरीर में अचानक सुन्नता और मांसपेशियों में कमजोरी का कारण बनती है। डॉक्टरों के मुताबिक, बैक्टीरिया और वायरल संक्रमण आमतौर पर जीबीएस का कारण बनते हैं क्योंकि वे रोगियों की इम्यूनिटी को कमजोर करते हैं। अधिकांश मरीज इलाज से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं. इस बीमारी में मृत्यु दर बहुत कम है इसलिए लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है
वायरल संक्रमण के बाद मरीज आते हैं इसकी चपेट में
डॉक्टरों का कहना है कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम एक तीव्र बीमारी है और अचानक होती है। यह आमतौर पर कैम्पिलोबैक्टर के कारण होने वाले गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण के बाद होता है, जो दस्त का कारण बनता है।" विशेषज्ञ ने कहा कि कोई भी मामूली वायरल संक्रमण बीमारी को ट्रिगर कर सकता है और आमतौर पर यह ढीले दस्त से शुरू होता है। इस बीमारी का कोई इलाज भी नहीं है, और कमजोरी और झुनझुनी सनसनी या संवेदना का नुकसान जैसे लक्षण आमतौर पर दोनों पैरों में शुरू होते हैं और फिर हाथों तक चले जाते हैं जिन्हें नियंत्रित किया जा सकता है। जीबीएस के लक्षण हफ्तों तक रह सकते हैं और अधिकांश लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, हालांकि, कुछ रोगियों में इसके परिणाम रह जाते हैं।
गुलेन बैरी सिंड्रोम के लक्षण
शुरुआत के लक्षण
- पैरों या हाथों में झुनझुनी और सुन्नता।
- मांसपेशियों में कमजोरी, जो धीरे-धीरे बढ़ती है।
- चलने या संतुलन बनाए रखने में कठिनाई।
गंभीर लक्षण
- तेज मांसपेशियों की कमजोरी जो शरीर के ऊपरी हिस्सों (जैसे हाथों और चेहरे) तक फैल सकती है।
- सांस लेने में कठिनाई (डायफ्राम पर असर पड़ने से)।
- दिल की धड़कन या ब्लड प्रेशर में गड़बड़ी।
- बोलने या निगलने में कठिनाई।
किया जा सके।
अधिक गंभीर मामलों में
- शरीर का लकवा (paralysis), जो अस्थायी हो सकता है।
- कुछ मामलों में ICU में भर्ती की आवश्यकता पड़ती है।
गुलेन बैरी सिंड्रोम के कारण
यह अक्सर किसी वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद होता है। जैसे- सांस की बीमारी (Respiratory infection), आंत्र संक्रमण (Campylobacter jejuni infection), फ्लू, डेंगू, या जीका वायरस।प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण से लड़ने के दौरान गलती से नसों के माइलिन (myelin sheath) या स्वयं नसों पर हमला करती है।
इलाज
गुलेन बैरी सिंड्रोम का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित करने और लक्षणों को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाते हैं:
प्लाज्मा फेरसिस (Plasmapheresis): - इसमें खून से हानिकारक एंटीबॉडी को हटाया जाता है, जो नसों पर हमला कर रहे होते हैं।
इंट्रावेनस इम्यूनोग्लोबुलिन (IVIG): - यह स्वस्थ एंटीबॉडी प्रदान करता है, जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित किया जा सके।
सपोर्टिव केयर: सांस लेने में कठिनाई होने पर वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है। फिजिकल थेरेपी से मांसपेशियों की ताकत वापस लाने में मदद की जाती है।
मेडिकल सपोर्ट: दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं।