किशोरियों में गर्भधारण देश के लिए एक बेहद चिंता का विषय है। ऐसे में सरकार ने आह्वान किया है कि किशोर वर्ग में सेक्स हेल्थ के बारे में चर्चा होनी चाहिए जिससे वे किशोर संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूक हो सकें। परिवार नियोजन विजन डॉक्यूमेंट 2030 के अनुसार भारत में किशोर जल्दी बच्चे पैदा कर रहे हैं और कम उम्र में लड़कियों की शादी हो रही है।
किशोरों को सही मार्गदर्शन की जरूरत
सरकार का मानना है कि किशोर अवस्था की आबादी को सही मार्गदर्शन के जरिए अनचाहे गर्भ, असुरक्षित यौन संबंध, रक्त की कमी, कुपोषण, शराब, नशीले पदार्थो का सेवन, तंबाकू, मोटापा, हिंसा व मानसिक रोगों से बचाया जा सकता है। विवाह के लिए लड़कियों की उम्र 18 से 21 करने का कारण भी शायद यही है। क्योंकि इस उम्र में लड़कियों का यौन संबंध के लिए मानसिक, शारीरिक एवं जैविक विकास हो चुका होता है, वैसे गर्भधारण का उचित समय 20 से 35 साल होता है।
अधिक गर्भनिरोधक की जरूरत
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार की ओर परिवार नियोजन विजन दस्तावेज 2030 जारी किया गया। इसमें बताया गया है कि विवाहित किशोर लड़कियों और युवा महिलाओं को और अधिक गर्भनिरोधक की जरूरत है। उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा और गर्भ निरोधकों तक पहुंच की कमी को एक प्राथमिकता चुनौती क्षेत्र के रूप में पहचाना गया है।
पुरुष कंडोम तक ही सीमित
रिपोर्ट की मानें तो आधुनिक गर्भनिरोधक प्रसार दर बिहार में 35% और यूपी में प्रवासी पतियों वाली महिलाओं में 24% थी। पुरुष काफी हद तक कंडोम तक ही सीमित है। एनएफएचएस-5 से पता चलता है कि गोलियों के 45% और कंडोम के 40% हिस्से में निजी क्षेत्र का योगदान है। हालांकि, नसबंदी सेवाएं भारत में बड़े पैमाने पर सरकार की ओर से दी जाती है।
ये है देश के हलात
रिपोर्ट के मुताबिक देश के कई जिलों में 20% से अधिक लड़कियों की शादी वयस्क (18 साल) होने से पहले कर दी जाती है। इनमें बिहार (17), पश्चिम बंगाल (8), झारखंड (7), असम (4) और यूपी, राजस्थान और महाराष्ट्र के दो-दो जिले स्थित हैं। उन्हीं जिलों में आधुनिक गर्भ निरोधकों का कम उपयोग देखा गया। जबकि 118 से अधिक जिलों ने 10 प्रतिशत से अधिक किशोर गर्भधारण की सूचना दी। इन जिलों में बिहार (19), पश्चिम बंगाल (15), असम (13), महाराष्ट्र (13), झारखंड (10), आंध्र प्रदेश (7) और त्रिपुरा के 4 हैं।
अवरुद्ध विकास वाले बच्चों की संख्या भारत में
वहीं अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) के अध्ययन के मुताबिक भारत में किशोर माताओं से पैदा होने वाले बच्चे वयस्क माताओं से पैदा होने वाले बच्चों की तुलना में अधिक अवरुद्ध विकास वाले होते हैं। दुनिया में सबसे अधिक अवरुद्ध विकास वाले बच्चों की संख्या भारत में है। साथ ही भारत किशोर गर्भावस्था के सबसे बड़े बोझ वाले 10 देशों में से एक है। वयस्क माताओं की तुलना में किशोर माताओं द्वारा जन्म दिये जाने वाले बच्चों में अवरुद्ध विकास तथा सामान्य से कम वजन (Underweight) की व्यापकता 10% अधिक पाई गई।
अवरुद्ध विकास से बच्चों को नुकसान
बच्चों का उनकी उम्र के हिसाब से न तो वज़न बढ़ता है और न ही उनकी लंबाई बढ़ती है।
स्टंटिंग की समस्या आमतौर पर दो साल की उम्र से पहले होती है।
विकासशील देशों में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में से लगभग एक-तिहाई बच्चे स्टंटिंग से ग्रस्त हैं।