चंद्रयान-3 ने अपने लक्ष्य की ओर अबाद्ध गति से बढ़ते हुए वीरवार को चंद्रमा की कक्षा की ओर एक और कदम बढ़ाया और अंतरराष्ट्रीय चांद दिवस पर भारतवासियों को अमूल्य तोफा दिया। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज चौथी बार चंद्रयान-3 को चांद के और करीब पहुंचाया।
वैज्ञानिकों ने इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवकर् (आईएसटीआरएसी) सुविधा केन्द्र से चौथी बार धरती से फायरिंग (अर्थ बाउंड पेरिगी फायरिंग) करके चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चांद के और करीब पहुंचाया। वैज्ञानिक अब 25 जुलाई को अपराह्न दो से तीन के बीच फायरिंग करके चंद्रयान को लक्ष्य के और करीब पहुंचायेंगे।
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया था। इसरो प्रमुख सोमनाथ एस. ने इससे पहले कहा था- ‘‘...अंतरिक्ष यान चंद्रमा के सफर पर है। अगले कुछ दिनों में यह (लैंडर को चंद्रमा की सतह पर उतारने का कार्य) कर दिखाएगा।'' उन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं जागरूकता प्रशिक्षण (स्टार्ट) कार्यक्रम 2023 के उद्घाटन भाषण में यह बात की। उन्होंने कहा- ‘‘मैं आश्वस्त हूं कि जहां तक विज्ञान की बात है, आप इस (चंद्रयान-3) मिशन के जरिये कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करेंगे।''
इसरो ने एक अगस्त को चंद्रयान-3 को ट्रांस लूनर पर भेजने की योजना बनाई है। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को इसरो के सबसे भारी लॉन्च वाहन एलवीएम3-एम4 द्वारा सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया और लगभग 16 मिनट की उड़ान के बाद, इसे 36,500 किमी गुणा 170 किमी की दीर्घवृत्तीय पाकिर्ंग कक्षा में सटीक रूप से स्थापित किया गया। चंद्रमा की सतह पर एक पूर्ण सॉफ्ट लैंडिंग कर भारत यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला चौथा देश बन जाएगा। केवल अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन ने अब तक यह उपलब्धि हासिल की है।
भारत ने जुलाई 2019 में चंद्रयान-2 को लॉन्च करने की पहली कोशिश की थी लेकिन लैंडर क्रैश होने के कारण यह मिशन लगभग 99.99 प्रतिशत ही सफल रहा था। इससे इसरो के भविष्य के अंतरग्रहीय मिशनों के लिए सहायक बनने की उम्मीद है। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है जो चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और रोविंग में एंड-टू-एंड क्षमता का प्रदर्शन करेगा।