आजकल 3 व्यक्ति माइग्रेन की समस्या से जूझ रहा है, जिसका मुख्य कारण दिन ब दिन बिगड़ता लाइफस्टाइल है। सिर्फ यंगस्टर व मीडिल एज लोग ही नहीं बल्कि बच्चे भी खराब दिनचर्चा के चलते माइग्रेन का शिकार हो रहे हैं। हाल ही में हुए शोध में सामने आया है कि स्कूल जाने वाले करीब 75% बच्चों में कभी न कभी सिरदर्द जरूर होता है। इनमें से 10% बच्चों में यह गंभीर रूप ले लेता है।
क्या है माइग्रेन?
माइग्रेन एक ऐसा रोग है, जिसमें सिर के एक हिस्से में तेज दर्द होता है, जो 2 से 72 घंटे तक रहता है। यह धीरे-धीरे सिरदर्द से शुरू होता है और फिर माइग्रेन का रूप ले लेता है। अगर समय रहते इसका इलाज ना करवाया जाए तो यह डिप्रेशन, क्रॉनिक हेडेक जैसे मानसिक विकार को जन्म दे सकता है।
बच्चों में माइग्रेन के कारण
. आजकल बच्चों को ऑनलाइन स्टडी करनी पड़ रही है, जिसकी वजह से उन्हें टीबी, लैपटॉप या मोबाइल पर आंखें गढ़ाए रखनी पड़ती है। मगर, इसकी वजह से वो माइग्रेन के शिकार भी हो रहे हैं।
. नींद की कमी, पढ़ाई का तनाव, पोषक तत्वों की कमी के कारण भी वो माइग्रेन की चपेट में आ रहे हैं।
बच्चों में माइग्रेन के लक्षण
. बार-बार तेज सिरदर्द होना, जो कई बार सिर के दोनों तरफ भी हो सकता है।
. रोशनी से परेशानी
. स्वभाव में अचानक चिड़चिड़ापन
. उल्टी, मतली या बार-बार बुखार आना
. चक्कर आना
. आवाज से परेशानी होना
. पेट में ऐंठन
. शारीरिक कमजोरी महसूस होना
. सिर व गर्दन के आसपास की मांसपेशियों में अकड़न
. भूख ना लगना
पेरेंट्स क्या करें?
अक्सर पेरेंट्स बच्चों में होने वाले सिरदर्द को मामूली समझ अपनी तरफ से कोई दवा या घरेलू उपचार कर देते हैं। मगर, इससे आगे चलकर बच्चे की परेशानी बढ़ जाती है। अगर बच्चे को बार-बार सिरदर्द की शिकायत हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
माइग्रेन का घरेलू उपाय
अगर बच्चे को माइग्रेन दर्द रहता है तो आप उसके लिए कुछ घरेलू उपाय कर सकते हैं लेकिन इसके साथ ही उनकी मेडिकल ट्रीटमेंट भी करवाएं।
. गुनगुने नारियस, जैतून या सरसों के तेल से मालिश करें।
. उन्हें सोने से पहले 1 गिलास हल्दी वाला दूध पीएं, ताकि वह अच्छी नींद ले सके।
. बच्चों की डाइट में पौष्टिक चीजें शामिल करें और जंक फूड्स ना दें।
. उन्हें ज्यादा से फिजिकल एक्टिविटी करवाएं। साथ ही उन्हें ध्यान व योग करने की भी आदत डालें।
. देसी घी की दो बूंदे नाक में डालने से भी माइग्रेन दर्द में आराम मिलता है।