दुनियाभर को कोरोना वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है। रूस और चीन के बाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी वैक्सीन बनाने की रेस में सबसे आगे चल रही है। इसी बीच ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। खबरों के मुताबिक, स्वास्थ्य नियामक कोरोना वैक्सीन को जल्दी ही मंजूरी दे सकते हैं, जिसके बाद टीकाकरण शुरू हो सकता है। यही नहीं, दिल्ली एम्स हॉस्पिटल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी वैक्सीन को लेकर एक राहत की खबर बताई है।
भारतीय बाजार में जल्द आएगी कोरोना वैक्सीन
दरअसल, एम्स के निदेशक डॉ. गुलेरिया ने बताया कि साल 2021 की शुरुआत तक भारत में कोरोना वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है। उनका कहना है कि देश की जनसंख्या के हिसाब से दवा उतनी मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पाएगी। वैक्सीन सबसे पहले उन लोगों को दी जाएगी, जिन्हें कोरोना का अधिक खतरा है , जैसे बुजुर्ग, कमजोर इम्यूनिटी वाले या किसी बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति।
ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन पर भी बड़ी खबर
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा बनाई गई कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण भी जल्द शुरू हो सकता है। खबरों के मुताबिक, ऑक्सफोर्ड कोरोना टीकाकरण को मंजूरी मिलने के बाद भी लोगों को वैक्सीन पहुंचाने में कम से कम 6 महीने या उससे ज्यादा कम लग सकता है। ब्रिटेन की एक संयुक्त समिति द्वारा तैयार प्रोटोकॉल के तहत टीकाकरण को मंजूरी मिलने के बाद वैक्सीन सबसे पहले 65 से अधिक उम्र के लोगों को लगाई जाएगी क्योंकि उन्हें कोरोना का अधिक खतरा होता है। इसके बाद कोरोना हाई रिस्क वाले लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई जाएगी।
कब तक आएगी कोरोना वैक्सीन?
हालांकि इस बात की गारंटी नहीं है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एम्स की वैक्सीन कब तक आएगी। ब्रिटिश सरकार ने टीकाकरण के लिए 100 मिलियन खुराक तैयार करने का ऑर्डर जारी किया है। ट्रायल सफल होने के बाद विनियामक नियमों के पास होने तक वैक्सीन का उत्पादन जारी रहेगा, ताकि वैक्सीन की कमी ना हो और समय बचाया जा सके।
अन्य विशेषज्ञों का क्या है कहना?
विशेषज्ञों का कहना है कि 2021 में पतझड़ मौसम से पहले लोगों को कोरोना का टीका मिल पाना संभव नहीं है। कनाडाई या अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के मुताबिक, वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर बताया जा रहा अनुमान कम आशावादी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगले साल गर्मियों में आम लोगों के लिए टीका विकसित होना सबसे अच्छी स्थिति होगी लेकिन पूरी आबादी के लिए टीका 2022 तक ही उपलब्ध हो पाएगा।