आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने मन की शांति और स्वास्थ दोनों ही खो बैठे हैं। कोरोना काल में आई बेरोजगारी ने तो लोगों पर और इसका गहरा असर छोड़ा है जिस वजह से अधिकतर लोग एंग्जाइटी के शिकार हो रहे हैं। एंग्जाइटी यानि की चिंता। इससे पीड़ित लोगों को तेज़ बैचेनी के साथ नकारात्मक विचार, चिंता और डर का आभास होता है । जैसे, अचानक हाथ कांपना, पसीने आना आदि। अगर समय पर इसका सही इलाज न किया जाए तो यह बहुत खतरनाक हो सकता है और मिर्गी का कारण भी बन सकता है। इसलिए इससे बचने के खुद का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक हैं, तो आईए जानते हैं इससे निजात पाने के लिए हम क्या कर सकते हैं-
एंग्जाइटी के भारत में आंकड़े
- भारत के अलग-अलग महानगरों में लगभग 15.20% लोग एंग्जाइटी और 15.17% लोग डिप्रैशन के शिकार हैं।
-इसकी एक बहुत बड़ी वजह है नींद का पूरा न होना। लगभग 50% लोग ऐसे हैं जो अपनी नींद को पूरा नहीं कर पाते।
-स्टडी के अनुसार, नींद पूरी न होने से शरीर में 86% रोग बढ़ जाते हैं, जिनमें डिप्रेशन व एंग्जाइटी सबसे ज्यादा हैं।
-पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की एंगजाइटी में आने की संभावना अधिक है।
-स्टडी बताती है कि 8% युवा एंग्जाइटी या डिप्रैशन के शिकार हैं ।
क्यों होती है एंग्जाइटी?
हमारे रोज़मर्रा के जीवन में कुछ ऐसी असामान्य घटनाएं हो जाती हैं जिस वजह से लोगों को आमतौर पर एंग्जाइटी और डिप्रैशन होता हैं और कभी-कभी इसके नतीजे भंयकर भी हो सकते हैं। इनमें से अधिकतर लोगों को इन बातों की चिंता होती है-
-हर महिने किराया या बिलों का भुगतान करने की चिंता।
-नौकरी या एग्जाम की चिंता।
- लव अफेयर का होना।
-स्टेज फियर यानि लोगों के बीच खड़े होने की घबराहट होना।
-किसी के निधन से होने वाला दुख या चिंता।
एंग्जाइटी लक्षण क्या हैं ?
चिंता कब रोग का रुप ले ले, यह कहना फिलहाल बहुत मुश्किल है । परंतु यदि कोई ऐसी चिंता है जो लंबे वक्त से बनी हुई है तो यह निश्चित है कि वह कोई बड़ा रुप ले सकती है । ऐसी स्थिति में फौरन मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट का परामर्श लेना चाहिए।
कईं प्रकार के होते हैं एंग्जाइटी डिसऑर्डर-
-हार्ट बीट का बढ़ना या सांस फूल जाना
-मांसपेशियों में तनाव बढ़ना
-छाती में खिंचाव होना
-किसी के लिए बहुत ज्यादा लगाव होना
अगर एंग्जाइटी अटैक आए तो क्या करें-
अगर आपको एंग्जाइटी अटैक आते है तो इसे बिल्कुल भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। अगर कोई लक्षण नज़र आए तो फौरन डॉक्टरी सलाह लें। डिप्रैशन या एंग्जाइटी का इलाज दवा, काउंसलिंग या मिले-जुले इस्तेमाल से बेहद आसानी से किया जा सकता है। आईए जानते हैं इसके बारे में-
साइकोथेरेपी करें-
एंग्जाइटी को दूर करने में साइकोथैरेपी बहुत कारगर साबित हुई है। इस थैरेपी में मन पर नियंत्रण करना सिखाया जाता है। समय के पांबद रहें और हर काम मन लगाकर करें।
रोगी को कभी अकेला न छोड़ें, हमेशा उसके पास रहें-
अगर कोई व्यक्ति एंग्जाइटी या डिप्रैशन से जूझ रहा है तो उसे कभी अकेला न छोड़े इसमें रोगी के सुसाइड करने का खतरा रहता हैं, इसलिए हमेशा उसके पास ही रहे। कोशिश करे कि वह अपनी पूरी नींद ले, क्योंकि आधी-अधूरी नींद भी एंग्जाइटी का कारण बन सकती है।
हैल्थी डाइट लें-
रोज़ हैल्थीडाइटे लेें, ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फैट वाले आहार का सेवन करें। इसके अलावा अपना भोजन नियमित समय पर खाएं और पूरा खाएं, भोजन छोड़ें नहीं। इसके अलावा बाहर का भोजन, जैसे जंक फूड या तले हुए भोजन से परहेज़ करें।
भोजन करने का टाइम टेबल बनाएं-
अनियमित समय पर भोजन करने की आदत को छोड़े और क्योंकि इसका असर सीधा मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। एंग्जाइटी भी इन्हीं में से एक है, इसलिए किसी भी कीमत पर भोजन से समझौता न करें।
हल्के म्यूज़िक वाले संगीत सुनें
संगीत स्ट्रैस को न सिर्फ कम करता है बल्कि खत्म कर देता है। संगीत से ब्लड़ प्रेशर, हार्ट रेट और तनाव भी दूर हो जाता है इसलिए जब भी आपको एंग्जाइटी या डिप्रैशन महसूस हो, अपनी पसंद का संगीत सुनें।
एक्सरसाइज़ करें
हर रोज़ 30 मिनट कम से कम एक्सरसाइज़ करें। नियमित रूप से सुबह और शाम सैर करने की आदत बनाएं और अपनी दिनचर्या में एक बार योगा जरूर करें।