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52 दिनों में Ananya Prasad ने रचा नया इतिहास, अटलांटिक महासागर को पार कर बनीं प्रेरणा

  • Edited By PRARTHNA SHARMA,
  • Updated: 07 Feb, 2025 06:30 PM
52 दिनों में Ananya Prasad ने रचा नया इतिहास, अटलांटिक महासागर को पार कर बनीं प्रेरणा

नारी डेस्क: क्या आपने कभी सोचा है कि समुद्र की गहराइयों में अकेले 3,000 मील की यात्रा करना कैसा एक्सपीरियंस होगा? बेंगलुरु की रहने वाली अनन्या प्रसाद ने यही किया, और वो भी अकेले! 34 साल की अनन्या ने अटलांटिक महासागर को अकेले पार किया और 52 दिनों में यह कठिन यात्रा पूरी की। इस दौरान उन्होंने न केवल अपनी शारीरिक और मानसिक ताकत का परिचय दिया, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और बच्चों के लिए 1.5 लाख पाउंड से अधिक की रकम भी जुटाई। अनन्या का यह साहसिक कदम न सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि समाज में पॉजिटिव बदलाव लाने की भी एक बड़ी कोशिश है।

एक अनोखी यात्रा की शुरुआत

अनन्या की यात्रा 11 दिसंबर, 2024 को कैनरी द्वीप समूह के ला गोमेरा से शुरू हुई और 31 जनवरी, 2025 को एंटीगुआ में समाप्त हुई। अनन्या, जो प्रसिद्ध कन्नड़ कवि जी एस शिवरुद्रप्पा की पोती हैं, ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर और व्यक्तिगत आकांक्षाओं को मिलाकर इस यात्रा को संभव किया।अनन्या ने अपनी यात्रा की तैयारी में तीन साल से भी अधिक समय बिताया। इसमें विशेष रोइंग तकनीकों, शारीरिक सहनशक्ति बनाने और मानसिक दृढ़ता को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण शामिल था।

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समुद्र की चुनौतियों से जूझना

इस अकेली यात्रा के दौरान अनन्या को कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। उन्हें खतरनाक समुद्री हालात, ओर्का व्हेल से मिलना, खराब मौसम से जूझना और एक गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा जब उनके रडर (स्टीयरिंग यंत्र) को मध्य यात्रा में नुकसान हो गया। लेकिन अपनी तकनीकी विशेषज्ञता और मानसिक मजबूती के साथ उन्होंने उसे ठीक किया और यात्रा जारी रखी। अनन्या ने रोजाना लगभग 60-70 किलोमीटर की दूरी तय की। उनके द्वारा बनाई गई आहार और जल योजना ने उन्हें इन कठिन परिस्थितियों में टिके रहने में मदद की।

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समाज के लिए योगदान

अनन्या की यह यात्रा केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं थी, बल्कि इसका उद्देश्य समाज में पॉजिटिव बदलाव लाना था। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य फाउंडेशन और दक्षिण भारत के अनाथ बच्चों के लिए काम करने वाले दीनबंधु ट्रस्ट के लिए 1,50,000 पाउंड से अधिक धन जुटाया। यह योगदान यह दिखाता है कि व्यक्तिगत प्रयासों से समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

सबके लिए यादगार प्रेरणा

अनन्या की यह यात्रा केवल शारीरिक कड़ी मेहनत की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक मजबूत संदेश भी देती है। यह उन महिलाओं और रंगीनी जातियों को साहस और प्रेरणा देती है जिन्हें साहसिक खेलों में पारंपरिक रूप से स्थान नहीं मिला है। अनन्या ने अपने संघर्ष को सभी के साथ साझा किया और सोशल मीडिया पर अपनी यात्रा के बारे में जानकारी दी, जिससे वह दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गईं।

नई सोच की ओर कदम

"द लॉजिकल इंडियन" अनन्या प्रसाद को एक प्रेरणा के रूप में मानता है। उनका यह संघर्ष और सफलता साहस, जिम्मेदारी और बदलाव की ताकत को दर्शाती है। यह यात्रा हमें एक महत्वपूर्ण सवाल देती है: हम कैसे और अधिक समावेशी प्लेटफ़ॉर्म बना सकते हैं जो विविध आवाज़ों को सुनने और समाज के मौजूदा दृष्टिकोणों को चुनौती देने का मौका दे?

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