भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय कहा जाता है। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले विघ्नहर्ता को पूजा जाता है। ऐसे में ही हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन को भगवान श्रीगणेश के जन्मोत्सव के रूप में पूरे भारत में मनाया जाता है। ऐसे में उनके भक्त मंदिरों में जाकर भगवान श्रीगणेश की पूजा करते हैं। अपने मंगल और सुखमय जीवन की कामना करते हैं। तो चलिए इस शुभ अवसर पर आज हम आपको भगवान विघ्नहर्ता के 8 प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन करवाते हैं। इन मंदिर में हर साल गणेश चतुर्थी के दिन बहुत भीड़ रहती है। तो चलिए जानते उन मंदिरों के बारे में...
श्री सिद्धिविनायक मंदिर
गणेश जी की श्री सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई में स्थापित है। यह भगवान गणेश का सबसे पहला और पूजनीय मंदिर है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना एक निसंतान महिला ने की थी। इस मंदिर की महिमा के चलते दूर-दूर से लोग यहां विघ्नहर्ता के दर्शन करने आते हैं। यहां पर आए दिन बॉलीवुड स्टार्स भी भगवान श्रीगणेश की कृपा पाने आते हैं।
श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मंदिर
भगवान श्रगणेश का यह मंदिर मुंबई के पास पुणे में स्थापित है। इस मंदिर में भी भक्तों की आस्था जुड़ी है। गणपति बप्पा के इस मंदिर के ट्रस्ट को देश के सबसे अमीर ट्रस्ट माना गया है। कहा जाता है कि आज से कई साल पहले श्रीमंत दगडूशेठ और लक्ष्मीबाई नाम के एक कपल था। उन्होंने अपना इकलौता बेटा प्लेग बीमारी के शिकार होने से खो दिया था। बेटे का जाने के बाद दोनों पति- पत्नी ने इस गणेश मूर्ति की स्थापना यहां करवाई थी। उसके बाद इस स्थान में श्री दगडूशेठ के परिवार के साथ सभी लोग इस मंदिर में आने लगे और गणेश जी की पूजा करने लगे। साथ ही इस मंदिर में हर साल बड़े जोरों- शोरों से गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है।
मनकुला विनायक मंदिर
मंदिर पुडुचेरी में सन् 1666 से पहले स्थापित किया गया था। हिंदू शास्त्रों में भगवान श्रीगणेश के कुल 16 रूपों का वर्णन किया गया है। इनमें से पुडुचेरी की बात करें तो इस मंदिर में भगवान विघ्नहर्ता का मुख सागर की ओर दिखाई देता है। उनके इस स्वरूप को भुवनेश्व गणपति कहा जाता है। तमिल भाषा में मनल को बालू और कुलन को सागर कहा जाता है। कहा जाता है कि पहले जमाने में इस मंदिर के आसपास सिर्फ बालू ही दिखाई देते थे। इसलिए ही इस मंदिर का नाम मनकुला विनयागर पड़ा।
कनिपकम विनायक मंदिर
भगवान श्रीगणेश जी का यह मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर में स्थापित है। मान्यता है कि यहां आने वाले सभी भक्तों के पाप नष्ट हो जाते है। इस मंदिर की खासियत है कि यह भगवान श्रीगणेश का मंदिर नदी के ठीक बीच स्थापित किया गया है। बात इस मंदिर की स्थापना की करें तो इसे 11वीं सदी में चोल राजा कुलोतुंग चोल प्रथम ने बनवाया था। उसके बाद सन् 1336 में विजयनगर साम्राज्य में इस मंदिर का विस्तार हुआ था।
मधुर महागणपति मंदिर
यह मंदिर केरल शहर में स्थापित है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना के बाद यहां भगवान शिव की पूजा की जाती थी। मगर एक दिन इस मंदिर के पुजारी के बेटे ने मंदिर की दीवार पर गणेश जी की तस्वीर बनाई थी। कहा जाता है कि मंदिर की दीवार पर बनी गणेश जी की प्रतिमा धीरे-घीरे आकार लेती हुआ बढ़ने लगी थी। तस्वीर हर दिन बड़ी और मोटी होती रही। ऐसे में इसे भगवान गणेश जी का मंदिर मानकर पूजा जाने लगा।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर
मोती डूंगरी गणेश मन्दिर राजस्थान में जयपुर में स्थापित है। यह गणेश जी के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है। भगवान गणेश जी के इस मंदिर पर लोग विशेष आस्था तथा विश्वास रखते हैं। इस मंदिर की स्थापना जयपुर के एक सेठ जय राम पालीवाल ने 18वीं शताब्दी में बनवाया था। इस मंदिर में 'गणेश चतुर्थी' के दिन भक्तों की भीड़ जमा होती है।
रणथंभौर गणेश मंदिर
यह मंदिर राजस्थान शहर के सेवाई माधौपुर से करीब 10 कि.मी. की दूरी पर रणथंभौर के किले में बना हुआ है। इसे 10वीं सदी में रणथंभौर के राजा हमीर के द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर भगवान गणेश को चिट्ठी भेजे जाने के लिए दुनियाभर में फेमस है। रणथंभौर में कोई खास कार्य होने से पहले भगवान श्रीगणेश के इस मंदिर में कार्ड चढ़ाया जाता है।
गणेश टोक मंदिर
यह मंदिर गंगटोक पर स्थित है। इस मंदिर पर पहुंचने के लिए 3 मंजिले मकान के बराबर सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। इस मंदिर के अंदर पूजा करने वाला पुजारी नेपाली हैं। यहं पर भक्तों को प्रसाद देने के साथ उनके हाथों पर कलावा बांधा जाता हैं। मंदिर में गणेश जी की विशाल और सुंदर मूर्ति स्थापित है। इसके साथ ही मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा करने के लिए रास्ता बना हुआ है। यहां परिक्रमा करते समय गंगटोक शहर का सुंदर और अलौकिक नजारा देखने को मिलता है।