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देश ही नहीं विदेश में भी सजेंगे गोबर से बने दीये,  इन महिलाओं के Eco Friendly दीयों की खूब डिमांड

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 30 Oct, 2021 01:43 PM
देश ही नहीं विदेश में भी सजेंगे गोबर से बने दीये,  इन महिलाओं के Eco Friendly दीयों की खूब डिमांड

दीपों के त्योहार दिवाली में कुछ लोग दीयों को छोड़ लाइट को महत्व देते हैं, लेकिन  परंपरगत रूप से दिवाली की रात में तेल और घी के दीपक ही जलाना शुभ माना जाता है। ऐसे में हमें परंपरा और  पर्यावरण का खास ख्याल रखते हुए ईको-फ्रेंडली दिवाली पर विचार करना चाहिए।  इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए ही  महिलाओं का एक समूह गोबर के दीये बना रहा है, जिसकी डिमांड देश ही नहीं विदेश में भी खूब है।  

अब तक दो लाख दीयों की हो चुकी सप्लाई

छत्तीसगढ़ की उड़ान नई दिशा समूह ने इस बार गोबर के रंग-बिरंगे दीये तैयार किए हैं, जिसे काफी पसंद किया जा रहा है। इस समूह ने अब तक दिल्ली, हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में दो लाख से ज्यादा दीये  सप्लाई कर दिएए हैं। समूह की अध्यक्ष निधि की मानें तो इस तरह के दीये पूरे देश में कहीं नहीं मिलेंगे। दीयों की सजावट में विशेष रूप से कार्य किया गया है।

गोबर के दीयों का फायदा 

  • दीपावली के बाद  जैविक खाद बनाने में उपयोग हो सकते हैं दीये। 
  • गमला या कीचन गार्डन में भी उपयोग किया जा सकता है दीया।
  • इससे प्रकृति को नहीं पहुंचता नुकसान । 
  • पानी में रहने वाले जीव जंतु को भी  नहीं पहुंचता नुकसान


कैसे तैयार होते हैं ये दीये 

समूह ही इन महिलाओं ने गाय के गोबर को अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति मजबूत करने का जरिया बना लिया है। वह  गोबर के दिए, स्वास्तिक चिन्ह, गणेश की मूर्ति आदि निर्मित कर रही हैं।  महिलाओं ने बताया कि करीब ढाई किलो गोबर के पाउडर में एक किलो प्रीमिक्स व गोंद मिलाते हैं। गीली मिट्टी की तरह सानने के बाद इसे हाथ से खूबसूरत आकार दिया जाता है। इसके बाद इसे दो दिनों तक धूप में सुखाने के बाद अलग-अलग रंगों से सजाया जाता है।

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