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कूल्हे का फ्रैक्चर: कमजोर हड्डियों वाले लोगों को रहता है ज्यादा Risk

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 04 Sep, 2023 10:56 AM
कूल्हे का फ्रैक्चर:  कमजोर हड्डियों वाले लोगों को रहता है ज्यादा Risk

आजकल हड्डी टूटने की घटनाएं कुछ ज्यादा देखने को मिल रही है। हाथ की कलाई, पैर और कूल्हे में फ्रेक्चर दुपहिया वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा दिखता है। इसमें कूल्हे का फ्रैक्चर सबसे खतरनाक होता है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लगभग 37 प्रतिशत पुरुषों और 20 प्रतिशत महिलाओं की मृत्यु कूल्हे के फ्रैक्चर के एक वर्ष के भीतर हो जाती है। 


ऑस्टियोपोरोटिक से फ्रैक्चर का खतरा सबसे अधिक 

यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी (यूटीएस) के ऑस्टियोपोरोसिस में विश्व के अग्रणी शोधकर्ता  प्रोफेसर तुआन गुयेन का कहना है कि लोगों के लिए अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए सरल उपाय करना महत्वपूर्ण है, भले ही उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस न हो। प्रोफेसर का कहना है कि ऑस्टियोपोरोटिक व्यक्तियों में कूल्हे के फ्रैक्चर का खतरा सबसे अधिक होता है, और फार्माकोलॉजिकल उपचार इस जोखिम को लगभग 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।

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बुजुर्गों को स्वास्थ्य में सुधार करने की आवश्यकता 

ऑस्टियोपोरोसिस से इस बीमारी में हड्डियां इस हद तक कमजोर हो जाती हैं कि हल्का झटका लगने, गिर जाने और यहां तक कि छींकने और खांसने से भी फ्रैक्चर हो सकता है। हालांकि, अधिकांश हिप फ्रैक्चर उन लोगों में होते हैं जिन्हें ऑस्टियोपोरोसिस नहीं है, इसलिए सभी के लिए विशेष रूप से बुजुर्गों को अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार करने की आवश्यकता है।  


 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों का हुआ अध्ययन 

शोधकर्ताओं ने ऑस्टियोपोरोसिस महामारी विज्ञान अध्ययन के आंकड़ों का विश्लेषण किया, जो दुनिया में ऑस्टियोपोरोसिस पर सबसे लंबे समय तक चलने वाले अध्ययनों में से एक है। इसमें 60 वर्ष से अधिक आयु के 3000 से अधिक व्यक्ति शामिल हैं, जिन्हें फ्रैक्चर की घटनाओं और जोखिम कारकों के लिए समय-समय पर ट्रैक किया गया।  इसमें पाया गया कि 1988-92 में पहले समूह और 1999-2001 में दूसरे समूह के बीच, अस्थि खनिज घनत्व में 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसी अवधि के दौरान, कूल्हे के फ्रैक्चर में 45 प्रतिशत की कमी आई, यह गिरावट आमतौर पर अस्थि खनिज घनत्व में 10 प्रतिशत की वृद्धि के साथ जुड़ी हुई थी।


 कूल्हे में फ्रेक्चर के कारण 

कूल्हे की हड्डियों या जोड़ों में फ्रैक्चर होने को अंग्रेजी में हिप फ्रैक्चर कहा जाता है। ज्यादातर लोगों में यह समस्या बढ़ती उम्र की वजह से हड्डियों में कमजोरी के कारण होती है। आमतौर पर हिप फ्रैक्चर चोट लगने, गिरने की वजह से होते हैं, लेकिन कुछ लोगों में यह समस्या गलत पोश्चर में बैठने, कमोड पर गलत तरह से बैठने के कारण भी हो जाती है। हिप फ्रैक्चर होने पर अगर मरीज की परेशानियां बहुत ज्यादा बढ़ जाती हैं, तो उन्हें सर्जरी की जरूरत भी पड़ती है। हड्डियों की कमजोरी और बोन डेंसिटी कम होने के कारण यह समस्या कम उम्र में भी देखने को मिल सकती है। 

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कूल्हे के टूटने के लक्षण 

-कूल्हे और कमर वाले हिस्से में दर्द होना।

-प्रभावित पैर का अप्रभावित पैर से छोटा होना।

-प्रभावित कूल्हे और पैर पर वजन या दबाव पड़ने से चलने में असमर्थता।

-कूल्हे में सूजन।

-टांग को उठाने या घूमाने में दिक्कत होना।


ब्रोकेन हिप का इलाज कैसे किया जाता है?

हिप फ्रैक्चर या ब्रोकन हिप की समस्या को नजरअंदाज करने से मरीजों की परेशानियां बढ़ सकती हैं, इसलिए इसके लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। हिप फ्रैक्चर होने से बचाने के लिए आपको कैल्शियम और विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा वाले फूड्स का सेवन करना चाहिए। यदि आपकी उम्र ज्यादा है और टूटे हुए कूल्हे के अलावा आपको दूसरी मेडिकल कंडिशन भी हैं, तो आप मेडिकेशन,
फिजिकल थेरेपी का भी सहारा ले सकते हैं। 

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बचाव और उपचार

-अगर आपका दिनभर बैठने का काम है तो सुबह या शाम घूमने अवश्य जाएं।

-किसी शारीरिक गतिविधि में शामिल रहें जैसे जॉगिंग, स्विमिंग, योग, बैडमिंटन आदि। 

-शरीर कैल्शियम को सही हजम कर सके, इसके लिए पर्याप्त मात्रा में विटामिन-डी लें। 

-कैल्शियम सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
 

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