कहते हैं एक महिला ही दूसरी महिला का दर्द समझ सकती है यह शब्द बिल्कुल सही है। चाहे आज समाज में महिलाएं भी पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं लेकिन हमारे आस-पास आज भी बहुत सी ऐसी महिलाएं भी है जो अपने लिए कुछ करना चाहती हैं लेकिन वह कर नहीं पाती है। शायद इनके पास वो सपोर्ट न हो जो दूसरी महिलाओं को मिलता है लेकिन कहते हैं न कि हर किसी की मदद के लिए भगवान ने कोई न कोई इंसान अपने रूप में भेजा होता है और एक ऐसा ही रोल अदा कर रही है 23 साल की अरिसा जेमिमा इकराम इस्माइल जो अप्रवासी महिलाओं को मुफ्त शिक्षा देकर उन्हें सशक्त बना रही है।
महिलाओं को दे रही मुफ्त शिक्षा
दरअसल यह महिलाएं कुआलालंपुर के बाहरी क्षेत्र में अप्रवासी महिलाओं को मुफ्त शिक्षा प्रदान कर रही हैं। इनमें हर उम्र की महिला है जो पढ़ने का ख्वाब रखती है। यहां महिलाएं मलय और इंग्लिश में पढ़ना और लिखना सीख रही हैं। इन्हें पढ़ाने की शुरूआत दो लॉ स्टूडेंट्स ने की और वह इन महिलाओं की मदद कर उन्हें सशक्त बनाना चाहती हैं।
बदलना चाहती हैं महिलाओं की जिंदगी
अरिसा जेमिमा इकराम इस्माइल महिलाओं को पढ़ा कर इनकी जिंदगी सवार रही है। इतना ही अरिसा के साथ उनकी सहेली देविना देवराजन भी कुआलालंपुर में रहने वाली कुछ महिलाओं को पढ़ा रही हैं। दरअसल वह उन महिलाओं से मिली और उन्हें यह जानकर काफी हैरानी हुई कि यह महिलाएं असल में पढ़ना चाहती हैं लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पा रहा था।
इंस्टाग्राम के जरिए बाकी लोगों को जोड़ा
इन दो लड़कियों ने ठाना कि वह इन महिलाओं को मुफ्त शिक्षा देगीं और इसके लिए उन्होंने इन महिलाओं को पढ़ाने के लिए कुछ शिक्षकों से बात की और सोशल मीडिया के जरिए अपने काम को बढ़ाया। फिर धीरे-धीरे इस काम में लोग जुड़ते गए और अब 20 लड़कियां यहां कम से कम 50 परिवारों की अप्रवासी महिलाओं को फ्री में शिक्षा दे रही हैं।
'महिलाओं के लिए ऐसी चैरिटी जरूरी'
महिलाओं को मुफ्त शिक्षा देने वाली अरिसा की मानें तो प्रवासी महिलाओं के लिए इस तरह की चैरिटी बहुत जरूरी है। इसके जरिए वह खुद तो पढ़ना-लिखना सीखेंगी ही साथ ही अपने समुदाय के अन्य लोगों को भी शिक्षित कर सकेंगी।
अलग कमरे में किया है इंतजाम
इन महिलाओं को पढ़ाने के लिए लड़कियों ने अलग कमरे में इंतजाम किया है। इनमें बहुत सी महिलाएं ऐसी भी हैं जो साथ में अपने बच्चों को भी ले आती हैं।