कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, जो सिर्फ बड़ो-बूढ़ों ही नहीं बल्कि बच्चों को भी अपना शिकार बना रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक,हर साल तकरीबन 3 लाख बच्चे इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आते हैं, जिनमें से 78 हजार से ज्यादा अकेले भारत में होते हैं। यहीं नहीं, भारत में डॉक्टर कैंसर पीड़ित केवल 30 प्रतिशत बच्चों को ही बचा पाते हैं।
पेरेंट्स को बच्चों में बढ़ रही इस खतनाक बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 15 फरवरी यानि आज वर्ल्ड चाइल्स कैंसर अवेयरनेस डे भी मनाया जा रहा है।
बच्चों को किस कैंसर का खतरा ज्यादा?
शोध के अनुसार, बच्चों में ब्लड कैंसर, ब्रेन ट्यूमर, एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया, होज्किन्ज लिम्फोमा, साकोर्मा और एंब्रायोनल ट्यूमर के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं। इसके अलावा बच्चों में बोन कैंसर (हड्डियों का कैंसर), नर्वस सिस्टम ट्यूमर, न्यूरोब्लास्टोमा, रैब्डोमायोसरकोमा, रेटिनोब्लास्टोमा के मामले भी देखने को मिलते हैं। आमतौर पर इसके अलावा अन्य प्रकार के कैंसर बच्चों में नहीं देखे जाते।
आंकड़ों के अनुसार, लड़कियों के मुकाबले लड़कों में कैंसर अधिक होता है। ब्लड और ब्रेन कैंसर बच्चों में होने वाला सबसे आम कैंसर है। लड़कों के मामले में सबसे आम ल्यूकेमिया और लिम्फोमा है, जबकि लड़कियों में ल्यूकेमिया और ब्रेन ट्यूमर कैंसर से आम है।
बच्चों में तेजी से बढ़ रही इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 15 फरवरी के लिए 'वर्ल्ड चाइल्ड कैंसर अवेयरनेस डे' मनाया जाता है। बच्चे में कैंसर के लक्षण जल्द पहचान में नहीं आते लेकिन फिर भी कुछ संकेतों को गोर करके इसे समय रहते पकड़ा जा सकता है। चलिए आपको बताते हैं बच्चों में होने वाले कैंसर के कुछ सामान्य संकेत...
. अक्सर बच्चे की त्वचा का रंग पीला पड़ रहा है
. मुंह या नाक से बेवजह खून बहना
. त्वचा पर नीले या रक्त के चक्कते पड़ना
. हड्डियों व मांसपेशियों में लगातार दर्द का रहना
. शरीर में तेज दर्द होना और इसके कारण नींद ना आना
. अचानक लड़खड़ाना, भार उठाने में परेशानी या अचानक चलना छोड़ देना।
. दो हफ्ते से ज्यादा समय से सिर दर्द।
. सुबह-सुबह उल्टी होना।
. लगातार बुखार, उदासी, बाल झड़ना और वजन कम होना।
. अचानक मोटापा बढ़ना।
. त्वचा पर, पेनिस, वैजाइना, या कहीं भी ऐसा घाव है जो जल्दी नहीं भर रहा तो उसे अनदेखा ना करें।
. दर्द रहित बड़े लिम्फनॉड्स भी कैंसर का संकेत हो सकते हैं।
. अगर आपको लगे बच्चे का व्यवहार अचानक से बदल रहा है या वो उदास व चिड़चिड़ा रहने लगा है तो उसे इग्नोर ना करें। यह संकेत कैंसर ही नहीं, डिप्रेशन की तरफ भी इशारा करता है।
. आंखों की रोशनी कम होना, धुंधलापन होना या मिर्गी के दौरे पड़ना ब्रेन ट्यूमर की निशानी हो सकती है।
अगर बच्चे को इनमें से कोई भी दिक्कत हो तो उसे अनदेखा ना करें बल्कि डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
बच्चों में कैंसर का इलाज
सबसे पहले तो डॉक्टर को दिखाएं, ताकि पता चल सके कि बच्चे का कैंसर किस स्टेज पर है। उसके बाद ही डॉक्टर्स तय करेंगे कि बच्चों को किस तरह का ट्रीटमेंट दिया जाना चाहिए।
बच्चों को कैंसर से बचाने के लिए क्या करें...
. मोटापा कैंसर का सबसे बड़ा कारण है इसलिए बच्चों में वजन बढ़ने ना दें।
. बच्चों को सही समय पर सोने, उठने, नियमित एक्सरसाइज करने की आदत डालें।
. स्वस्थ भोजन दें।
. रिफाइंड चीनी, तेज नमक, कोल्ड ड्रिंक्स, जंक फूड्स से दूर रखें।
अगर बच्चों में कैंसर का सही समय पर पता चल जाएं, सही इलाज और देखभाल मिले, तो बचपन के कैंसर को मात दी जा सकती है।