कैंसर एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जो व्यक्ति को मौत के दरवाजे तक ले जाती है। यही नहीं, कैंसर के चलते इंसान का आत्मविश्वास खत्म हो जाता है और वो अंदर से टूट जाता है। मगर, कैंसर का आखिरी स्टेज पर डटकर खड़ी सुरुची वडालिया ने तो दुनिया के सामने मिसाल ही खड़ी कर दी है।
वायु प्रदूषण है कैंसर का मुख्य फैक्टर
सुरुची वडालिया ब्रेन ट्यूमर की आखिरी स्टेज पर है लेकिन अपने लाइफ के आखिरी पलों में भी वो आने वाली पीढ़ी के बारे में सोच रही हैं। दरअसल, कैंसर का एक मुख्य फैक्टर वायु प्रदूषण भी है, जिसे रोकना सुरुची का लक्ष्य बन गया है। वायु प्रदूषण को रोकने और आने वाली पीढ़ियों को इस जानलेवा बीमारी से बचने के लिए सुरुची पेड़-पौधे लगा रही हैं। वह अब तक 30 हजार से ज्यादा पौधरोपण कर चुकी हैं।
ब्रेन कैंसर की आखिरी स्टेज पर है सुरुचि
सुरुचि को एक दिन अचानक तेज सिरदर्द हुआ, जांच करवाने पर पता चला कि उन्हें आखिरी स्टेज का ब्रेन ट्यूमर है। उन्होंने इसका इलाज शुरू करवाया लेकिन उनकी हालात में सुधार होने की बजाए वो और भी बिगड़ने लगी। अपने हालात देखते हुए सुरुचि मन परेशान होने लगा। वह इसके कारण और उसे खत्म करने के बारे में सोचने लगी। तभी उन्हें पेड़-पौधे लगाने का ख्याल आया।
अब तक लगा चुकी हैं 30 हजार पौधे
उन्होंने खाली समय में अपनी ना सही पर दूसरों की जिंदगी को बचाने के लिए पहल शुरु की। उनका कहना है कि भले ही कैंसर का इलाज संभव नहीं है लेकिन इस पर रोक लगाई जा सकती है। फिर क्या था उन्होंने वायू प्रदूषण के खिलाफ अपनी जंग शुरू कर दी। 2 साल के अपने इस सफर में वह लगभग 30 हजार पौधे लगा चुकी हैं। उनका कहना है कि उन्हें नहीं पता कि वो कितने दिन तक जिंदा रहने वाली हैं, लेकिन वह चाहती हैं कि पौधे लगाकर लोगों की सांसों में हमेशा रहें।
नहीं छोड़ा हिम्मत और हौंसला
ट्रीटमेंट के दौरान वो 36 कीमोथेरेपी और उतनी ही रेडिएशन थेरेपी भी ले चुकीं हैं। इसके साथ ही उन्हें कई दवाइयां भी लेनी पड़ती है। थेरेपी के कारण उन्हें अपने लंबे बाल भी गवांने पड़े। मगर, इस समय में भी उन्होंने अपने हिम्मत और हौंसला नहीं छोड़ा।
वायु प्रदूषण के खतरों से करती हैं आगाह
वह पौधे लगाने के अलावा लोगों को वायु प्रदूषण के खतरों से आगाह भी करती हैं। यही नहीं, वह गांवों और स्कूलों में जाकर भी लोगों को अधिक से अधिक पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं क्योंकि उनका मानना है कि सिर्फ पौधे लगाकर वायू प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
एनजीओ ने की मदद
सूरत शहर के एनजीओ हार्ट एट वर्क ने कुछ समय पहले क्लीन इंडिया, ग्रीन इंडिया मूमेंट की शुरुआत की है, जिसमें उन्होंने 2,500 पौधे लगाने का लक्ष्य बनाया था। जब उन्हें सुरुचि के बारे में पता चला तो उन्होंने उनकी मदद करने की सोची। यही नहीं, उन्होंने सुरुचि को अपना ब्रांड एंबेसेडर भी बनाया। डॉक्टरों ने सुरुची को ज्यादा चलने व ट्रेवल करने में सावधानी बरतने को कहा था लेकिन संस्था ने उनके पौधे लगाने का अभियान रुकने नहीं दिया।
उनके इस साहस को देख लोगों को ना केवल प्रेरणा मिल रही है बल्कि लोग उनकी इस मुहिम में शामिल भी हो रहे हैं।