भारत में आज भले ही राजा महाराजाओं का दौर न हो लेकिन उनका एक न एक ऐसा किस्सा जरुर है जिससे आज भी लोग नहीं जानते। ऐसा ही एक किस्सा आपको पटियाला की रियासत के मशहूर राजा भूपिंदर सिंह से जुड़ा हुआ बताएंगे। पटियाला के इस राजघराने की शुरुआत 1695 में पहले महाराज बाबा अली सिंह से हुई थी। वहीं इस रियासत के आखिरी महाराजा यादवेंद्र थे। महाराजा यादवेंद्र आजादी से पहले 1939 में राजा बने थे। उन्होंने आजादी के समय पटियाला प्रिंसले रियासत का विलय भारत में किया था। इसके बाद वह पंजाब के राजप्रमुख पद पर रहे। पटियाला का राजघराना देश का ऐसा पहला राजघराना था जिसने पहला प्राइवेट प्लेन खरीदा था। इसके अलावा इस रियासत में और क्या-क्या खास था आज आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं पटियाला के राजघराने से जुड़े कुछ किस्से....
कौन थे महाराजा भूपिंदर सिंह?
भूपिंदर सिंह का जन्म 12 अक्टूबर 1891 में हुआ था। वह सिर्फ 9 साल की उम्र में ही राजा बन गए थे और 18 साल के हुए तो उन्होंने अपना पूरा कार्यभार संभाल लिया था। इसके बाद उन्होंने पटियाला पर करीबन 38 सालों तक राज किया। एक किताब के अनुसार, राजा ने पटियाला में लीला भवन का महल बनवाया था। इस महल में सिर्फ कपड़ों के बिना ही लोगों को आने की एंट्री मिलती थी। यह महल पटियाला शहर में स्थित भूपेंदर नगर में जाने वाली सड़क पर बाहरदरी बाग के पास बना हुआ है।
महल में बना था एक प्रेम मंदिर
इस किताब के मुताबिक, महल में एक खास कमरा भी बना हुआ था जो प्रेम मंदिर कहलाता था। यह कमरा सिर्फ महाराजा के लिए ही बना था जहां पर उनके अलावा किसी और को जाने की इजाजत ही नहीं थी। यहां पर महाराजा के भोग का भी पूरा इंतजाम किया हुआ था। उनके महल के अंदर एक बड़ा सा तालाब भी बना हुआ था जिसमें एक साथ करीबन 150 लोग नहा सकते थे। यहां पर राजा पार्टी करते थे जिसमें वह अपने चहेती रानियों और प्रेमिकाओं को भी बुलाते थे। इसके अलावा इस पार्टी में महाराजा के कुछ खास लोग भी शामिल होते थे।
प्राइवेट प्लेन की रक्षा करते थे पूरा स्टाफ
इसके अलावा महाराजा भूपिंदर सिंह ऐसे पहले इंसान थे जिनके पास अपना पहला प्राइवेट प्लेन था। महाराज ने इसके लिए हवाई पट्टी भी बनवाई थी। इस प्लेन के साथ उन्होंने कई सारी यात्राएं भी की थी। यह जहाज उन्होंने तब लिया था जब देश में किसी भी रियासत के पास अपना प्राइवेट प्लेन नहीं था। ये तीन सीटर विमान था जो उस समय के बेहतरीन विमानों के रुप में गिना जाता था। उनके इस प्राइवेट प्लेन की रक्षा पूरा स्टाफ था। वहीं इसका पायलट भी विदेशी था। राजा भूपिंदर सिंह को जहाज और कारों को बहुत ही शौक था।
राजा के पास है सबसे महंगा हीरों का हार
इसके अलावा राजा की रॉयल जिंदगी तब सामने आई थी जब उन्होंने कीमती नग, हीरों और आभूषणों से भरा एक संदूक पेरिस के कॉर्टियर में ज्वेलर्स को भेजा था। इसमें मौजूद हार करीबन 3 साल की कारीगरी के बाद तैयार हुए थे। इसकी कीमत 25 मिलियन डॉलर है जो देश के सबसे महंगे आभूषणों में से एक हैं। इसे पटियाला हार भी कहा जाता है। बाद में इस हार को भूपेंद्र सिंह के बेटे यादवेंद्र सिंह ने भी पहना था परंतु यह हार बाद में गायब हो गया।
50 से ज्यादा बच्चों के बाप थे भूपिंदर सिंह
वहीं इतिहासकारों की मानें तो महाराजा की 10 रानियां और 300 से ज्यादा उपरानियां थी। इन सारी रानियों के लिए पटियाला में भव्य महल भी बनाए गए थे। महलों में रानियों के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए हर समय एक्सपर्ट्स की टीम भी मौजूद होती थी। महाराजा की 10 पत्नियों में से उनके 83 बच्चे हुए परंतु उन बच्चों में से सिर्फ 53 बच्चे ही जिंदा रह पाए थे।