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प्लास्टिक और Silver Foil बन रहा महिलाओं में बांझपन की वजह

  • Edited By Harpreet,
  • Updated: 16 Jun, 2020 02:04 PM
प्लास्टिक और Silver Foil बन रहा महिलाओं में बांझपन की वजह

मां बनना हर औरत के लिए सौभाग्यपूर्ण बात है। मगर आज के बदलते दौर में यह खुशी कहीं न कहीं औरत के भाग्य से छिनती जा रही है। इसकी एक बड़ी वजह हमारा बिगड़ा हुआ लाइफस्टाइल है, आज की युवा लड़कियां घर के बने खाने से ज्यादा फास्ट फूड खाना पसंद करती हैं, जिस वजह से उन्हें आगे चलकर मां बनने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

क्या है वजह?

आपने अक्सर सुना होगा, बच्चा पैदा करते वक्त एक औरत मनुष्य के शरीर की सारी हड्डियां टूटने जितना दर्द महसूस करती है। ऐसे में आप खुद सोचकर देखें बच्चा पैदा करना एक औरत के लिए कितना कठिन काम होगा। किसी भी कठिन काम को करने के लिए शरीर में ताकत की जरूरत होती है, अब फास्ट फूड खाकर शरीर को वो ताकत नहीं मिलती जो उसे घर के बनी शुद्ध और देसी खाने से मिलती है। साथ ही फास्ट फूड का निर्माण ज्यादातर मैदे से किया जाता है, मैदा ऐसा चीकना पदार्थ है जो शरीर में जाकर एक जगह बैठ जाता है, इसे पचाने के लिए आपको ढेर सारा वर्कआउट करना पड़ता है।

प्लास्टिक के बर्तन

फास्ट फूड के साथ-साथ आजकल बहुत से लोग खासतौर पर युवा प्लास्टिक की बोतलों में पानी पीते हैं। घरों में भी ज्यादातर प्लास्टिक की बोतलों में ही पानी डालकर फ्रिज में रखा जाता है। हाल ही में प्लास्टिक से बनी चीजों पर हुए शोध के मुताबिक बात सामने आई कि, अगर आप प्रत्येक वर्ष प्लास्टिक की Same बॉटल का इस्तेमाल करते हैं, तो आप हर वर्ष यदि उस बोतल का वजन करवाएं, तो आपको पता चलेगा कि हर वर्ष बोतल का वजन कम होता जा रहा है। खत्म होने वाला प्लास्टिक गया कहां? असल में वो प्लास्टिक पानी में घुलता रहता है, जो शरीर में जाकर कैंसर और बांझपन जैसी कई बीमारियों को जन्म देता है। आइए जानते हैं इस बारे में और विस्तार से...

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प्लास्टिक के अलावा सिल्वर फॉइल भी है हानिकारक

ज्यादातर घरों में खाने को गर्म रखने और उसे खराब होने से बचाने के लिए एल्युमीनियम फॉइल का इस्तेमाल किया जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि प्लास्टिक बोतलों की तरह सिल्वर फॉइल में चपाती रखने से 2 से 3 ग्राम प्रतिशत एल्यूमीनियम खाने में चला जाता है। जो आगे चलकर कैंसर, पाचन तंत्र की गड़बड़ी, याददाश्त कमजोर होना और बांझपन जैसी समस्याओं को जन्म देता है।

नॉनस्टिक कुकवेयर

इसमें कोई शक नहीं कि नॉनस्टिक कुकवेयर आपका काम आसान बना देते हैं। नॉनस्टिक में एक तो खाना जल्द बन जाता है साथ ही खाना जलने के चांसिस कम हो जाते हैं, मगर इन बर्तनों का  हर रोज उपयोग करने से पैंक्रियाज, लिवर और टेस्टिस (पुरुषों में पाई जाने वाली ग्रंथि) संबंधी कैंसर, कोलाइटिस, प्रेग्नेंसी में हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

होने वाले बच्चे की सेहत पर बुरा असर

इन सभी चीजों का इस्तेमाल करने के बावजूद यदि आप मां बन भी जाती हैं तो इनका बुरा असर होने वाले बच्चे पर तो पड़ता ही है। जी हां, मां के साथ-साथ जन्म लेने वाला बच्चा भी कई सारी बीमारियों के साथ ही जन्म लेता है। नवजात बच्चों में शुगर, हार्ट से जु़ड़ी समस्याएं इत्यादि दिखने के पीछे यही सब कारण हैं।

 

तो ये थे मां बनने में रुकावट बन रहे कुछ कारण, जिन्हें समय रहते आप और आपकी बच्चियों को समझना बहुत जरूरी है। 

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