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महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा है न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, जानें इसके लक्षण और बचाव

  • Edited By Anu Malhotra,
  • Updated: 16 Jul, 2021 04:40 PM
महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा है न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, जानें इसके लक्षण और बचाव

भारत समेत पूरी दुनिया में फैली कोरोना माहमारी ने लाखों-करोड़ों लोगों को अपना शिकार बनाया, हालांकि कुछ लोगों ने इस बीमारी को मात भी दी तो वहीं कुछ लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी। वहीं इस बीच कोरोना की दूसरी लहर के खत्म होने के बावजूद लोगों में लांग कोविड की बीमारी देखने को मिल रही है यानि कि कोरोना से ठीक होने के बावजूद भी लोग किसी न किसी बीमारी से ग्रस्ति है जिसे डाॅक्टरों ने लांग कोविड का नाम दिया है। इन्ही में से एक बिमारी है न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स की जो तेजी से महिलाओं में फैल रही है। लोगों की दिनचर्या, लाइफस्‍टाइल, हाइजीन और स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति बरती गई लापरवाही से यह बीमारी भारत में तेजी से बढ़ रही है।

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न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर पर द लेंसेट ग्‍लोबल हेल्‍थ जर्नल में छपे अध्‍ययन में स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जाहिर की है और इस बीमारी पर लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। बतां दें कि देश में पाए जाने वाले तीन तरह के न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स में से दो तरह के डिसऑर्डर का ग्राफ 1990 से लेकर 2019 तक लगभग दोगुना हो गया है।

न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स हेल्‍थ सिस्‍टम के लिए है चुनौती
अध्‍ययन के अनुसार,  न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स का इस तरह बढ़ना हेल्‍थ सिस्‍टम  के लिए एक चुनौती है। यहां तक कि इन डिसऑर्डर्स को लेकर अभी तक लोगों के पास न तो पूरी जानकारी है और न ही इसके इलाज के लिए सुविधा है, इसलिए यह और भी चिंता की विषय है। 

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भारत में न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के मामले दो गुना बढ़ें
स्‍टडी के अनुसार, 1990 के बाद से 2019 तक भारत में स्‍ट्रोक, अल्‍जाइमर, हेडएक डिसऑर्डर, ब्रेन कैंसर या चोट लगने के बाद पैदा होने वाले न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के मामले काफी बढ़े हैं ।

स्‍टडी के मुताबिक,  छत्‍तीसगढ़, ओड़ीसा, असम, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में सबसे ज्‍यादा स्‍ट्रोक के मामले सामने आए हैं. वहीं केरल में अल्‍जाइमर के मरीज सबसे ज्‍यादा बढ़े हैं। 1990 के मुकाबले देखा जाए तो 2019 तक यहां ये मामले दोगुने से ज्‍यादा हो गए हैं।

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क्यों बढ़ रहे हैं न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के मामले
एक्सपर्ट का मानना है कि कुछ राज्‍यों में  मामले दोगुने हुए हैं इसके पीछे लोगों का बदला हुआ लाइफस्‍टाइल है।  वहीं लोगों के खानपान और स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति बरती जा रही लापरवाही के कारण लोगों में ब्रेन स्‍ट्रोक और अल्‍जाइमर जैसी बीमारियां पनप रही हैं। ज्‍यादा देर तक टीवी के सामने या मोबाइल फोन पर रहना, घूमना फिरना कम होना, तनाव और अवसाद के कारण भी ये डिसऑर्डर बढ़ रहे हैं, इसके लिए हमें अपनी जीवनशैली को बदलना होगा और खान-पान को ठीक रखना होगा।

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 न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के प्रकार- 
स्‍टडी के मुताबिक भारत के लोगों में तीन तरह के न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर पाए गए हैं। अगर राज्‍यों के हिसाब से देखें तो इनके मरीजों की संख्‍या कहीं ज्‍यादा तो कहीं बिल्‍कुल कम है।

क्या है न्‍यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर
न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर आमतौर पर नर्वस सिस्टम को प्रभावित करने वाले वायरल, जीवाणु, कवक और परजीवी संक्रमण के कारण होते हैं। नर्वस सिस्टम की बीमारियों में अल्जाइमर रोग, डिमेंशिया, मिर्गी, सेरेब्रोवास्कुलर बीमारियां जैसे माइग्रेन, स्ट्रोक और अन्य सिरदर्द शामिल हैं।

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न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर के लक्षण

-सिर, गर्दन, पीठ, हाथ या पैर में दर्द के सामान्य लक्षण भी न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर के लक्षण हो सकते है। गर्दन की जकड़न के साथ गंभीर सिरदर्द मेनिनजाइटिस, ब्रेन हैमरेज, ब्रेन ट्यूमर या वेनस साइनस थ्रॉम्बोसिस जैसी गंभीर बीमारियों का संकेत दे सकता है। 

-अंगों का फड़कना, झुनझुनी या कमजोरी होना भी न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर के लक्षण हो सकते है। लगातार कमजोरी, अंगों का टूटना और मरोड़ना एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस का लक्षण हो सकता है. वहीं अंगों की अचानक कमजोरी एक्यूट न्यूरोपैथी का कारण हो सकती है।

-दौरे पड़ना, अंगों का मरोड़ना और बार-बार बेहोश होना भी न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर का एक लक्षण है। लेकिन अगर समय पर इनका इलाज नहीं किया गया तो इसके बिगड़ने का खतरा बना रहता है।

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न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर का इलाज
न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर रोगों के लिए कोई त्वरित समाधान नहीं है, लेकिन रोगी की अच्छी देखभाल और हेल्दी लाइफस्टाइल मरीज को ठीक कर सकता है। हालांकि कुछ मामलों में, उन्हें गंभीर परिस्थितियों में ऑपरेशन करने के लिए न्यूरोसर्जन या इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजिस्ट की मदद की जरूरत हो सकती है। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि इस रोग में किसी को घबराना नहीं चाहिए और अपना ज्यादा से ज्यादा देखभाल करना चाहिए।

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