नारी डेस्क: नवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, और इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। बता दे की इस बार शारदीय नवरात्रि 2024 मे 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। नवरात्रि की शुरुआत मां शैलपुत्री की आराधना से होती है, जिन्हें देवी दुर्गा का पहला स्वरूप माना जाता है। उनका स्वरूप, उनकी कथा और उनकी उपासना की विधि इस पर्व की विशेषता है।
मां शैलपुत्री का स्वरूप
मां शैलपुत्री का अर्थ है "पर्वत की पुत्री।" वे हिमालय के राजा हिमवान और रानी मैनावती की पुत्री हैं। उनका वर्णन श्वेत वस्त्र धारण करने वाली, हाथ में त्रिशूल और कमल के फूल के साथ किया जाता है। उनका वाहन बैल है, जिसे वृषभ कहा जाता है। मां शैलपुत्री का रूप अत्यंत दिव्य और आकर्षक है, जो भक्तों में शक्ति और साहस का संचार करता है।
मां शैलपुत्री की पावन कथा
मां शैलपुत्री की कथा हमें उनके जन्म और शक्ति के बारे में जानकारी देती है। पुराणों के अनुसार, जब देवी सती ने भगवान शिव से विवाह किया था, तब उनके पिता राजा दक्ष ने इस विवाह का विरोध किया। दक्ष ने एक बड़ा यज्ञ आयोजित किया, लेकिन सती को आमंत्रित नहीं किया। इसके बावजूद, सती अपने पति शिव के साथ यज्ञ में गईं। वहां दक्ष ने शिव का अपमान किया, जिससे सती बहुत दुखी हुईं और उन्होंने यज्ञ अग्नि में आत्मदाह कर लिया।
सती की मृत्यु से भगवान शिव बहुत दुखी हुए और तांडव किया। सती के शरीर को लेकर शिव आकाश में भ्रमण करने लगे। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए देवी दुर्गा ने सती के रूप में जन्म लिया। मां शैलपुत्री के रूप में जन्म लेने के बाद, उन्होंने हिमालय में तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न किया। शिव ने उन्हें दर्शन दिए और फिर से विवाह किया। इस तरह, मां शैलपुत्री ने साबित किया कि सच्चा प्रेम और तपस्या से सभी बाधाएं दूर की जा सकती हैं।
उपासना विधि
नवरात्रि के पहले दिन भक्त मां शैलपुत्री की पूजा विधिपूर्वक करते हैं। इस दिन लोग उपवास रखते हैं और मां के लिए विशेष भोग तैयार करते हैं। उन्हें फूल, फल और दूध आदि का भोग अर्पित किया जाता है। भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और विशेष रूप से श्वेत वस्त्र धारण करते हैं। फिर मां की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाते हैं और मां के मंत्रों का जाप करते हैं।
मां शैलपुत्री के मंत्र इस प्रकार हैं
"ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः"
इस मंत्र का जाप भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करता है। पूजा के अंत में भक्त मां से आशीर्वाद मांगते हैं और उनकी कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि का पर्व केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक जागृति और नवीनीकरण का भी समय है। इस दौरान मां शैलपुत्री की आराधना करके भक्त आत्मविश्वास और शक्ति का अनुभव करते हैं।
मां शैलपुत्री की पूजा से न केवल भक्ति की भावना में वृद्धि होती है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार भी करती है।
इस नवरात्रि, मां शैलपुत्री की आराधना करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सफल बनाएं। मां दुर्गा का यह स्वरूप सभी को शक्ति और साहस प्रदान करे। जय माता दी!