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महाभारत काल से शुरु हुई थी Chhath Puja, जानिए इसकी पौराणिक कथा

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 17 Nov, 2023 02:15 PM
महाभारत काल से शुरु हुई थी Chhath Puja, जानिए इसकी पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में सूर्य देव का खास महत्व है। उनकी पूजा की जाती है। कई सारे लोग सुबह स्नान करके जल से अर्घ्य करते हुए सूर्य देव की पूजा करते हैं। छठ का महापर्व भी सूर्य देव को अर्पित है। चार दिन के इस पर्व की शुरुआत आज से हो गई। व्रती सूर्य देव को प्रसन्न कर घर में सुख, शांति- समृद्धि और संतान की लंबी आयु मांगते हैं। सूर्य देव के साथ छठी मैया की भी पूजा की जाती है। कहा तो यहां तक जाता है कि छठ पूजा की शुरुआत सतयुग से हुई थी । आइए आपको बताते हैं छठ पूजा से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं....

महाभारत काल से शुरु हुई थी छठ पूजा

मान्याताओं के अनुसार छठ पूजा की शुरुआत महाभारत काल में तब हुई थी जब सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा करनी शुरु की। ऐसा कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। वो हर दिन घटों पानी में खड़े होकर उन्हें अर्घ्य देते थे। सूर्य की कृपा से वो महान योद्धा बने और इसी के चलते आज तक अर्घ्य दान की यही परंपरा चल रही है।

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सीता मां ने की थी सूर्यदेव की पूजा

वैसे तो छठ पूजा  क्यों मनाई जाती है, इसको लेकर कई सारी मान्यताएं है। एक पौराणिक कथा के अनुसार जब राम- सीता 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तब रावण वध के पाप से मुक्त होने के उन्होंने ऋषि-मुनियों के कहने पर राजसूर्य यज्ञ किया। पूजा में उन्होंने मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया।  मुग्दल ऋषि ने मां सीता पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की पूजा करने का आदेश दिया। मां सीता ने 6 दिन तक लगातार सूर्य देव की उपासना की थी। सप्तमी को सूर्योदय के समय फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था।

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द्रोपदी ने भी रखा था छठ का व्रत

मान्यता तो ये भी है जब पांडव सारा राजपाठ जुए में हार गए थे तो द्रोपदी ने छठ का व्रत रखा था। इस व्रत की कृपा से उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो गईं और पांडवों को अपना राज-पाठ वापस मिल गया है। इस वजह से ही छठ पूजा के व्रत को फलदायी माना जाता है।
 

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