आज के समय में पति-पत्नि दोनों ही कामकाजी होने पर बच्चे का अच्छे से ध्यान नहीं रख पाते है। ऐसे में बच्चे का सही से ध्यान और उनकी सुरक्षा के पीछे वे काफी सजग रहते है। इस पर पैरेंट्स के मन में अक्सर बच्चे की देख-रेख के लिए उन्हें डे-केयर में डालने का ख्याल आता है। ऐसे में खासतौर पर महिलाएं खुद से दूर और अंजान के पास बच्चे को भेजने से डरती है। उनके मन में बच्चे की सुरक्षा को लेकर कई सवाल आते है जो उन्हें असमंजस में डाल देते है। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताते है जिससे आपको बच्चे के लिए सही डे-केयर को चुनने में मदद करेंगे...
अपनी सोच पर रखें भरोसा
चाहे मां के हाथों से बच्चा सबसे बेहतरीन ढंग से पलता है लेकिन कामकाजी होने पर आपका उसे डे-केयर में डालने में कोई बुराई नहीं है। खुद के भविष्य के लिए किसी की हेल्प लेना गलत नहीं होता। खुद पर और अपने फैसले पर विश्वास रखकर बच्चे के लिए सही और बेस्ट डे-केयर चुनें।
बच्चे की खुशी का रखें ध्यान
आपको इस बात का निश्चित करना होगा कि जिस डे-केयर में बच्चा जा रहा है वह वहां खुश है या नहीं। अगर आपका बच्चा डे-केयर में जाने पर रोने या आपसे लिपटने लगे तो समझ जाए कि उसे वहां किसी का डर है। वह डे-केयर में अच्छे से एडजस्ट नहीं हो पा रहा साथ ही अपनी बातों और जरूरतों को खुलकर कहने से डरता है। अगर वह आपसे डे-केयर के लोगों के बारे में बात या कोई शिकायत करता है तो इसका मतलब वह वहां खुश नहीं है। ऐसे में तुरंत डे-केयर वालों से बात कर परेशानी का हल ढूंढे।
सुरक्षा का रखें ध्यान
डे-केयर का चुनाव भी वैसे करें जैसे बच्चे के लिए स्कूल को चुनने में किया जाता है। बच्चे को डे-केयर में डालने से पहले वहां जाकर उनके रूल्स, स्टाफ मेंबर्स की योग्यता, डे-केयर की लोकप्रियता, वहां होने वाली तरह-तरह की गतिविधियों को जानने के बाद ही बच्चे को डालने का फैसला लें। साथ ही वहां कि सुरक्षा जैसे कि बाउंड्री वॉल, सिक्योरिटी गार्ड, सीढ़ियों, साफ- सफाई आदि पर भी खास ध्यान दें। डे-केयर में बच्चों और स्टाफ की संख्या भी पूछे। साथ ही बच्चे को वहां डालने के बाद समय-समय पर वहां जाकर वहां के स्टाफ मेंबर्स से मिलते रहें।
बच्चे की उम्र का रखें ध्यान
स्कूल के जैसे ही डे-केयर में भी बच्चों को डालने की एक उम्र होती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक बच्चे को मां और बाहर के लोगों को पहचानने का मौका देना चाहिए। पर ऐसा डेढ़ साल की उम्र के बाद ही करें क्योंकि इस उम्र तक बच्चा बोलना, चलना साथ ही थोड़ी समझ वाला हो जाता है। साथ ही बच्चे को 6 साल की उम्र तक ही वहां रहने दें। इसके बाद उसे डे-बोर्डिंग में डालना सही होगा। साथ ही बच्चा अनुशासन में रहना सीखता है।
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