एक तरफ जहां देश के कई राज्यों में कोरोना वायरस की दूसरी लहर थमती हुई नज़र आ रही हैं वहीं मुंबई और महाराष्ट्र में अभी कोरोना महामारी थमने का नाम नहीं ले रही। इससे पहले खबरे आ रही थी कि कोरोना वायरस सबसे ज्यादा बुजुर्गों और युवाओं को अपना शिकार बना रहा है लेकिन इसी बीच अब एक नई खबर सामने आई हैं कि वायरस अब नई माताओं को अपना शिकार बना रहा है। बीएमसी द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक कोरोना की वजह से नई माताओं की मौतों के आंकड़े में बढ़ोतरी हुई है।
इसके पहले बतां दें कि रक्तस्राव (Hemorrhage), घाव के सड़ने यानि कि Sepsis, हाइपरटेंशन जनित बीमारियों और टीबी की वजह से ज्यादातर नई माताओं की मौत के मामले सामने आते थे।
2020 से लेकर मार्च 2021 तक 193 महिलाओं की प्रसव के दौरान मौत-
मुंबई में बीते एक साल यानी अप्रैल 2020 से लेकर मार्च 2021 तक 193 महिलाओं की प्रसव के दौरान कोरोना की वजह से कई मुश्किलें पैदा हुई और अंत मे महिलाओं की मौत हो गई। इस प्रकार गर्भवती महिलाओं की 16.5 फीसदी मौत कोरोना के चलते हुई है। इसके अलावा, Sepsis की वजह से 12 प्रतिशत, टीबी और हैमरेज की वजह से 8.8 प्रतिशत और दिल की बीमारी से संबंधित 4 प्रतिशत नई माताओं की मौत हुई है। यह जानकारी बीएमसी से एक आरटीआई के जरिये प्राप्त हुई है।
कोरोना के चलते डिलीवरी की संख्या में भी आई कमी आई-
हालांकि मुंबई में मैटर्नल मोर्टेलिटी के आंकड़ें 193 हैं जो साल 2019- 20 के मुकाबले कम हैं। साल 2019- 20 में यह आंकड़ा 241 के करीब था। वहीं, इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि डिलीवरी की संख्या में भी कमी आई है। इसके पहले शहर में तकरीबन डेढ़ लाख बच्चे जन्म लेते थे लेकिन कोरोना की वजह से यह आंकड़ा घटकर 1 लाख 20 हज़ार तक पहुंच गया है।
कई महिलाओं को प्रसव के समय पता चलता है कि उन्हें कोविड था-
वहीं, BYL नायर अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा कि कोविड, गर्भवती महिलाओं के फेफड़े और अन्य अंगों की जटिलताओं को बढ़ा देता है, हालांकि इन महिलाओं का आंकड़ा बेहद कम है। डॉक्टर ने कहा कि हमारे अनुभव में, मरीज अधिकांश लक्षण वाले और हल्के लक्षण वाले रहते हैं। कई महिलाओं को प्रसव के समय पता चलता है कि उन्हें कोविड था। डॉक्टर ने कहा कि पिछले अप्रैल में एक निर्दिष्ट केंद्र में बदलने के बाद से अस्पताल ने लगभग 1,500 गर्भधारण को संभाला है। हालांकि दूसरी लहर में गर्भवती महिलाओं की मौत में तेजी आई है। अप्रैल-मई 2021 में कुल 43 मातृ मृत्यु हुई, जिनमें से 28, या 65%, कोविड -19 के कारण हुई हैं।
गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण का समर्थन-
सायन अस्पताल में गायनेकोलॉजिस्ट के प्रमुख डॉ अरुण नायक के अनुसार, कुछ मामलों में कोविड एक प्रारंभिक कारक बन सकता है, लेकिन यह समझने के लिए विस्तृत अध्ययन होना चाहिए कि क्या मातृ मृत्यु के मूल एटियलजि में बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि परंपरागत रूप से, सेप्सिस, रक्तस्राव, उच्च रक्तचाप कुछ सामान्य कारण रहे हैं। डॉ. नायक ने गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण का समर्थन किया ताकि मृत्यु दर को कम किया जा सके।
गर्भवती महिलाओं को कोविड से एक बड़ा खतरा-
कुछ गायनेकोलॉजिस्ट विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भवती महिलाओं को कोविड से एक बड़ा खतरा है और उन्हें प्राथमिकता के आधार पर टीका लगाया जाना चाहिए। दूसरी लहर ने हमें दिखाया है कि गर्भवती महिलाओं में मातृ मृत्यु, जटिलताओं, मृत जन्म और समय से पहले जन्म की दर कम से कम 7-8 गुना अधिक हुई है।
युवा गर्भवती महिलाओं को मौत से बचना है तो सरकार जल्द शुरू करे टीकाकरण-
लोग गर्भवती महिलाओं में कोविड की घटनाओं और मौतों की तुलना सामान्य आबादी से करने की गलती करते हैं। उन्हें मृत्यु दर में बड़े अंतर को समझने के लिए कोविड से संक्रमित गर्भवती महिलाओं और कोविड के बिना गर्भवती महिलाओं की तुलना करनी चाहिए। फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया (FOGSI) के अध्यक्ष डॉ अल्पेश गांधी ने कहा कि अगर युवा गर्भवती महिलाओं को मौत से बचना है तो सरकार को बिना किसी देरी के उनका टीकाकरण शुरू कर देना चाहिए।