भारत में जहां कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचाया हुआ वहीं इसी बीच कोरोना की तीसरी लहर की भी आशंका जताई जा रही है. एक्सपर्ट का मानना है कि तीसरी लहर दूसरी लहर से कई गुना ज्यादा खतरनाक हो सकती है. उनका कहना है कि तीसरी लहर बच्चों और नौजवान के लिए भी घातक साबित हो सकती हैं। इस बीच बच्चों के लिए दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन को मंजूरी मिल गई है।
दरअसल, कनाडा के ड्रग रेगुलेटर ने फाइजर कंपनी की वैक्सीन को 12-15 साल के बच्चों को लगाने की मंजूरी दे दी है। ऐसा करने वाला कनाडा दुनिया का पहला देश बन गया है. कनाडा के अलावा अमेरिका भी फाइजर-बायोटएनटेक की कोरोना वैक्सीन को 12-15 साल के बच्चों पर लगाने की इजाजत दे सकता है।
बतां दें कि फाइजर की बच्चों को लगाई जाने वाली वैक्सीन के ट्रायल जनवरी से मार्च के बीच हुए थे। बच्चों पर इस वैक्सीन के 100 फीसदी प्रभावी होने का दावा किया जा रहा है. फाइजर के अलावा फार्मा कंपनी मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन भी बच्चों की वैक्सीन का ट्रायल कर रही हैं. वहीं भारत में कोवैक्सीन के बच्चों पर ट्रायल होने हैं लेकिन अभी तक यह शुरू नहीं हो पाए हैं.
बच्चों के लिए वैक्सीन क्यों जरूरी-
एक्सपर्ट के मुताबिक, कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के भी संक्रमण की चपेट में आने की आशंक है. इसे लेकर भारत की सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से सवाल किया है कि अगर तीसरी लहर में बच्चे संक्रमण का शिकार होते हैं तो सरकार के पास क्या प्लान है?
वहीं, बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने भी कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के प्रभावित होने का दावा किया है. इसी वजह से बच्चों की वैक्सीन को मंजूरी मिलना बेहद अहम खबर है.