हर साल फाल्गुन माह में आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत सृष्टि के पालनहार भगवान श्रीहरि को समर्पित है। मान्यता है कि सच्चे में भगवान की पूजा व व्रत रखने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। जीवन की समस्याएं दूर होकर मनोकामना की पूर्ति होती है। इस दिन खासतौर पर आंवला की पूजा होने से इसे 'आंवला एकादशी' और 'आमलक्य एकादशी' भी कहते हैं। ऐसे में इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर श्रीहरि की पूजा करने का विशेष महत्व है। तो चलिए जानते हैं इस व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व महत्व...
व्रत का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि का आरंभ - 24 मार्च 2021, बुधवार सुबह 10:23 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त - 25 मार्च 2021, गुरुवार सुबह 09:47 मिनट तक
व्रत पारण का समय - 26 मार्च 2021, शुक्रवार सुबह 06:18 बजे से 08:21 बजे तक रहेगा।
आमलकी एकादशी व्रत की पूजा विधि
- सबसे पहले सुबह उठकर नहाकर साफ कपड़े पहनें।
- अब व्रत का संकल्प लेकर भगवान श्रीहरि की आराधना करें।
- भगवान विष्णु को पीला रंग अतिप्रित होने से उन्हें इस रंग के फूल चढ़ाएं।
- अब देसी घी में चुटकीभर हल्दी मिलाकर दीपक जलाएं।
- श्रीहरि का पीपल के पेड़ में वास माना जाता है। ऐसे में इसके पत्तों पर दूध और केसर से तैयार मिठाई रख कर भगवान जी को अर्पित करें।
- साथ ही केले चढ़ाकर गरीबों में बांट दें।
- शाम को तुलसी पौधे के सामने घी का दीपक जलाकर पूजा करें।
- भगवान विष्णु के साथ धन की देवी लक्ष्मी की भी पूजा करें। साथ ही पूजा में खासतौर पर गोमती चक्र और पीली कौड़ी रखें।
- आंवले पेड़ के नीचे बैठ कर श्रीहरि की पूजा करें। अगर आपके घर के पास आंवला का वृक्ष नहीं है तो भगवान को आंवला अर्पित करें।
- पूजा के बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
आमलकी एकादशी का व्रत व पूजा महत्व
- इस दिन श्रीहरि की पूजा पापों से मुक्ति दिलाती है।
- जीवन की परेशानियां दूर होकर सुख-समृद्धि, शांति व खुशहाली का आगमन होता है।
- मान्यता है कि इस व्रत को रखने से मोक्ष मिलता है।
- व्यक्ति को सैंकड़ों तीर्थों के दर्शन के समान फल मिलता है।
- जीवन व घर से जुड़ी परेशानियां दूर होकर खुशियों का आगमन होता है।
- कारोबार व नौकरी में तरक्की मिलती है।
- आंवला पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की पूजा करने से सौ गायों के दान बराबर पुण्य मिलता है।
- जीवन की समस्या दूर होकर मनोकामनाएं पूरी होती है।