वायु गुणवत्ता आयोग ने ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान' (जीआरएपी) के अंतिम चरण के तहत दिल्ली-एनसीआर में गैर-बीएस छह डीजल से चलने वाले हल्के मोटर वाहनों और ट्रकों के राजधानी में प्रवेश करने पर लगाये गए प्रतिबंध को हटाने का निर्देश दे दिया है। प्रतिबंध तीन दिन पहले लगाये गए थे। दरअसल प्रदूषण नाम के जहर के चलते दिल्ली सरकार ने सभी प्राइमरी स्कूलों को बंद करने के साथ सरकारी दफ्तरों में वर्क फ्रॉम होम नियम लागू करने का ऐलान कर दिया था। इसके साथ ही राजधानी में ट्रकों की एंट्री पर पाबंदी लगा दी गई थी।
दिल्ली में हुआ कुछ सुधार
दिल्ली के वायु प्रदूषण का स्तर रविवार को "बहुत खराब" श्रेणी के निचले छोर तक मामूली रूप से सुधरा। यह मुख्य रूप से अनुकूल हवा की गति और पराली जलाने के योगदान में गिरावट के कारण हुआ। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार चौबीस घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम चार बजे 339 था, जो एक दिन पहले 381 था। यह शुक्रवार को 447 था। यह बृहस्पतिवार को 450 पर पहुंच गया था, जो 'गंभीर प्लस' श्रेणी से एक पायदान कम था। खतरनाक प्रदूषण के स्तर ने दिल्ली सरकार को यह घोषणा करने के लिए प्रेरित किया कि प्राथमिक स्कूल शनिवार से बंद रहेंगे और उसके 50 प्रतिशत कर्मचारी घर से काम करेंगे, जबकि निजी कार्यालयों को इसका पालन करने की सलाह दी गई है।
ऑड ईवन पर भी हो रहा है विचार
कहा जा रहा थ कि सार्वजनिक परिवहन में तेजी लाने के लिए, सरकार 'पर्यावरण बस सेवा' भी शुरू करेगी, जिसमें 500 निजी तौर पर चलने वाली सीएनजी बसें शामिल होंगी। वाहनों के उत्सर्जन को कम करने के लिए, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से अपील की कि वे राजधानी की सीमाओं पर यातायात जाम से बचने के लिए गैर-जरूरी सामान ले जाने वाले ट्रकों को पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे की ओर मोड़ने के लिए उपाय करें। केजरीवाल ने यह भी ऐलान किया था कि अगर जरूरत पड़ी तो सम-विषम कार योजना लागू की जाएगी और इस पर चर्चा जारी है।
बीमारियों का सामना कर रहे लोग
इस बीच एक सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि दिल्ली-एनसीआर में हर पांच में से चार परिवार प्रदूषण से संबंधित बीमारियों का सामना कर रहा है । 80 फीसदी परिवारों के कम से कम एक सदस्य को वायु प्रदूषण के कारण श्वास संबंधी किसी न किसी समस्या से जूझना पड़ रहा है। बहरहाल, वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए कुछ लोग अस्थायी रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से बाहर चले गए हैं, जबकि क्षेत्र में रह रहे अधिकांश लोग खराब स्वास्थ्य के तौर पर इसका खामियाजा भुगत रहे हैं।