बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं के शरीर में कई बदलाव होने लगते हैं। वैसे तो महिला को 50 या 52 साल की उम्र तक पीरियड्स होते हैं, जो अमूमन 13-15 साल से शुरू होते हैं और बढ़ती उम्र तक चलते हैं। लेकिन बढ़ती उम्र में पीरियड्स में कई बदलाव भी होने लगते हैं। इस दौरान महिलाओं को अनियमित दर्द और ऐंठन से परेशान होना पड़ता है। किसी को अत्यधिक ब्लीडिंग की समस्या होती है तो कई ब्लीडिंग ना होने से परेशान होती हैं। आइए आज हम आपको बताते हैं कि उम्र के साथ-साथ पीरियड्स में क्या बदलाव आते हैं और इससे आपके शरीर पर क्या असर पड़ता है।
हार्मोन का बढ़ना
बढ़ती उम्र के साथ ही पीरियड्स के दौरान आपके शरीर में तनाव हार्मोन तेजी से बढ़ने लगते हैं और यह हार्मोन आपके मासिक धर्म की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। कॉर्टिसोल के अधिक उत्पादन से कभी-कभी शरीर में अत्यधिक दर्द, ऐंठन, अत्यधिक ब्लीडिंग आदि चीजें हो सकती हैं। वहीं, कॉर्टिसोल के काम होने के बाद यह लक्षण कम होने लगते हैं।
वजन का बढ़ना
जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे पीरियड के दौरान आपका वजन बढ़ने लगता है। यह हाई बॉडी मास इंडेक्शन को बढ़ाता है। जिससे शरीर में धीरे-धीरे फैट जमा होने लगता है।
ओवुलेशन में कमी
वैसे तो महिला को हर महीने में चार से पांच दिन पीरियड होते हैं। लेकिन बढ़ती उम्र में ओवुलेशन में कमी आने लगती है, क्योंकि अंडाशय को ओव्यूलेशन की तैयारी करने में समय लगने लगता है। ऐसे में उन्हें नियमित पीरियड्स नहीं होते हैं। किसी को कई महीनों तक माहवारी नहीं होती और कई लोगों को एक और 2 दिन में ही पीरियड्स खत्म हो जाते हैं।
स्किन ब्रेक आउट
यह अनुभव करना भी संभव है कि आपके 30, 40 या 50 की उम्र में आपको स्किन ब्रेक आउट हो। इसे वयस्क मुंहासे कहते हैं। वयस्क मुंहासे के कारण तनाव, बालों या त्वचा की देखभाल करने वाले उत्पाद, दवा के दुष्प्रभाव, गर्भावस्था आदि चीजें शामिल है। ये आपको पीरियड्स से पहले हो सकती हैं।
गर्भाशय की दीवार का मोटा होना
बढ़ती उम्र में आपका अंडाशय पीरियड्स के दौरान प्रोजेस्टेरोन छोड़ता है जो गर्भाशय की दीवार को मोटा कर देता है। इससे असामान्य ऐंठन हो सकती है।
यह सारी समस्याएं बढ़ती उम्र में आम है क्योंकि आप मेनोपॉज के करीब आ रहे हो तो घबराएं नहीं, डॉक्टर से सलाह लेने।