तुम्हारी उम्र कितनी है? 30 की हो गई, शादी क्यों नहीं की अभी तक? कोई पसंद नहीं आया या बॉयफ्रेंड है? लड़की ने 25 की उम्र पार की नहीं कि रिश्तेदार, पड़ोसी और सभी करीबियों को मेरी शादी की चिंता सताने लगी। कुछ लोग तो सवालों के साथ नसीहतों की झड़ी भी लगा देते हैं।
30 के पार हुए नहीं कि जमाने के तानें शुरू
भारतीय समाज में लड़की की शादी की चिंता माता-पिता से ज्यादा तो जमाने को होती है। लड़की के हाथ कब पीले कर रहे हो? इतना पढ़ाकर क्या करोगे? लड़कियों को ज्यादा देर घर पर बिठाकर नहीं रखना चाहिए... जैसे बाते बोल-बोलकर दुनिया वाले पेरेंट्स को भी यही सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि अब उनकी बेटी की शादी की उम्र हो गई है।
पेरेंट्स के लिए जिम्मेदारी होती है बेटी
दरअसल, भारतीय समाज में महिलाओं की शादी जिम्मेदारी समझी जाती है। पेरेंट्स चाहते हैं कि वो अपनी बेटी की शादी करके टेंशन फ्री हो जाए। भले ही पेरेंट्स लड़की को खूब पढ़ाए लिखाए लेकिन बात जब शादी की आती है तो उनकी उम्र 25 के पार होते ही पेरेंट्स लड़का देखना शुरू कर देते हैं।
पेरेंट्स को जमाने का डर
अगर 25-30 के बाद भी लड़की की शादी ना हो तो समाज वाले उन्हें अजीब नजरों से देखने लगते हैं, मानों उनमें कोई खराबी हो। एक इस डर के चलते भी पेरेंट्स चाहते हैं कि उनकी बेटी की शादी जल्द से जल्द हो जाए।
क्या सचमुच जरूरी है शादी?
हमारे समाज में "शादी" महिलाओं के जीवन का अहम हिस्सा माना जाता है। बचपन से ही उनके दिमाग में यह बात बिठा दी जाती है कि तुम इस घर के लिए पराई हो और बड़े होकर तुम्हे ससुराल जाना है। मगर, देखा जाए तो इस मॉर्डन समय में लड़कियां शादी से ज्यादा अपने करियर की महत्व दे रही हैं इसलिए वह पहले अपने पैरों पर खड़ी होती हैं और उसके बाद शादी के बारे में सोचती हैं, जो काफी हद तक सही भी है।
"शादी करूं या न करूं" मेरी मर्जी
हम शादी के खिलाफ नहीं है लेकिन शादी कब करनी है, किसे जीवनसाथी चुनना है... क्या यह चुनने का हक उनको नहीं है जो शादी के बंधन में बंधने वाला है। शादी के लिए सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से तैयार होना भी जरूरी है। अगर लड़कियां शादी के लिए तैयार ही नहीं होगी तो वह कैसे पूरा जीवन अपनी गृहस्थी को दे पाएगी।
बीवी, बहु, मां, बेटी, से हटकर "नारी" की पहचान
औरत की पहचान सिर्फ बीवी, बहु, मां, बेटी तक ही सीमित नहीं है। भारत में कई ऐसी बेटियां है जो अपने नाम का परचंम लहरा रही है। ना सिर्फ समाज बल्कि औरतों को भी समझना होगा कि शादी जीवन का हिस्सा है जिंदगी नहीं। अपनी अधूरी ख्वाहिशों को नजरअंदाज कर आप खुद को मार रही हैं, जोकि गलत है।
यहां हमें और पेरेंट्स को समझना होगा कि शादी करनी है या नहीं यह सिर्फ और सिर्फ लड़की की मर्जी होनी चाहिए, रिश्तेदार या जमाने की नहीं।