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Autism से जूझ रहे हैं बच्चे तो करें Extra Care, ऐसे रखें उनका ध्यान

  • Edited By palak,
  • Updated: 02 Apr, 2024 12:20 PM
Autism से जूझ रहे हैं बच्चे तो करें Extra Care, ऐसे रखें उनका ध्यान

 पेरेंट्स के लिए बच्चों का पालन-पोषण अच्छे से करना अहम जिम्मेदारी होती है लेकिन यदि बच्चा किसी बीमारी से ग्रस्त हो तो पेरेंट्स की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है।  खासतौर पर ऐसे बच्चे जो किसी दिमागी बीमारी जैसे ऑटिज्म से जूझ रहे हों उन्हें स्पेशल केयर की जरुरत होती है। यह एक ऐसी दिमागी बीमारी है जो ज्यादातर बच्चों में होती है। इसका पता लगा पाना पेरेंट्स के लिए मुश्किल होता है क्योंकि जब तक बच्चा 2-3 साल का न हो जाए तो इसके लक्षणों का पता नहीं चल पाता। बच्चों के व्यवहार या फिर उनके हाव-भाव के जरिए आप इस बीमारी का पता कर सकते हैं। यदि आपका बच्चा बाकी बच्चों के मुकाबले चुप-चुप रहता है या किसी बात पर प्रतिक्रिया भी देरी से व्यक्त करता है तो यह ऑटिज्म का लक्षण हो सकता है। आज विश्व ऑटिज्म अवेयरनेस डे मनाया जा रहा है ऐसे में आज आपको कुछ ऐसे टिप्स बताते हैं जिनके जरिए आप अपने बच्चों की केयर कर सकते हैं। 

एक शैड्यूल बनाएं 

ऑटिज्म से जूझ रहे बच्चे हर काम में रुटीन में करना पसंद करते हैं। ऐसे में आप यह ध्यान रखें कि उन्हें हर काम में एक प्रॉपर गाइडेंस मिलती रहे। बच्चों की अपने साथ इंट्रैक्शन बनाए रखें वह थेरेपी से जो भी सिखते हैं तो उसकी साथ-साथ में उन्हें प्रैक्टिस करवाएं। आप उनकी टीचर्स या थेरेपिस्ट से बात कर सकते हैं। 

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बच्चे को अपने साथ ले जाएं 

यदि आपके बच्चे का स्वभाव ऐसा है जिससे कोई भी उनकी परिस्थिति को समझ नहीं सकता तो उन्हें अपने साथ बाहर ले जाएं। ग्रोसरी शॉपिंग, पोस्ट ऑफिस, बैंक या किसी रोजमर्रा के काम में आप उन्हें अपने साथ लेकर जा सकते हैं। इससे उन्हें अपने आस-पास की दुनिया के बारे में समझने में भी मदद मिलेगी।    

नॉर्मल रहें 

ऐसे बच्चे किसी भी बात का अच्छा रिस्पॉन्स देते हैं। जब आप उनकी तारीफ करते हैं तो वह काफी अच्छा महसूस करते हैं। इसके अलावा आप बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार रखें कि वे जान पाएं कि आपको उनके बारे में क्या-क्या अच्छा लगता है। आप उनके साथ खेल सकते हैं, खेल में यदि बच्चे जीतते हैं तो आप उन्हें गिफ्ट दे सकते हैं। 

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समय दें 

बच्चों को थोड़ा समय दें उसे ठीक होने में समय लग सकता है। बच्चों के लिए नई-नई तकनीक ढूंढने और उनके दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करें। यदि बच्चे अच्छे से रिस्पॉन्स नहीं देते तो निराश न हो। 

एक्टिविटी करवाएं 

बच्चों को ऐसी एक्टिविटी करवाएं जो पूरी तरह फन से भरी हुई हो जिसमें कोई भी एजुकेशन थेरेपी न हो। ऐसी एक्टिविटी करने से बच्चे को खुलने और आपके साथ जुड़ने में मदद मिलेगी। 

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