नारी डेस्क: एड्स (Acquired Immunodeficiency Syndrome) का नाम सुनते ही लोगों के मन में डर पैदा हो जाता है। आज भी है यह यह खतरनाक बीमारी दुनियाभर के करोड़ों लोगों के शरीर में पल रही है। एचआईवी का इतिहास जानवरों से जुड़ा हुआ है। चलिए जानते हैं कौन था एड्स का पहला मरीज, कब हुई थी इस घातक बीमारी की शुरुआत।
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पहली बार एड्स कब और कैसे फैला?
माना जाता है कि एचआईवी वायरस अफ्रीका में 20वीं सदी की शुरुआत में चिंपांजी और मनुष्यों के बीच संपर्क (संभवतः शिकार के दौरान) से फैला। यह वायरस चिंपांजी में मौजूद SIV (Simian Immunodeficiency Virus) से उत्पन्न हुआ। यह वायरस धीरे-धीरे इंसानों में फैलने लगा और म्यूटेशन के कारण एचआईवी के रूप में उभरा। 1981 में संयुक्त राज्य अमेरिका में पहली बार एड्स के मामले की पहचान की गई। यह संक्रमण मुख्य रूप से उन लोगों में पाया गया जो समलैंगिक समुदाय के थे और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अत्यधिक कमजोर थी।
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प्रारंभिक शोध
1983 में, फ्रांसीसी वैज्ञानिक ल्यूक मॉन्टेनियर और उनकी टीम ने एचआईवी वायरस की पहचान की।पहला ला मामला 'गैटन दुगास' नामक व्यक्ति में मिला था। गैटन एक कैनेडियन फ्लाइट अटेंडेंट थे। गैटन को पता चल गया था कि उसे एड्स है और इसका कोई इलाज नहीं है, इसके बावजूद उसने इस बीमारी को कई लोगों को फैला दिया. गैटन दुगास को पेशेंट जीरो के नाम से भी जाना जाता है। 1980 के दशक में यह बीमारी मुख्य रूप से अमेरिका और यूरोप के साथ-साथ अफ्रीकी देशों में फैलने लगी। यह मुख्यतः असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुई, रक्त आधान और संक्रमित मां से बच्चे में फैला। 1990 के दशक तक एड्स एक वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल बन चुका था।
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महत्वपूर्ण तथ्य
1985 में एचआईवी टेस्टिंग किट * विकसित हुई, जिससे इस बीमारी की पहचान आसान हुई। 1996 में, एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (ART) शुरू हुई, जिसने एड्स से होने वाली मौतों में कमी लाई। हालांकि, एड्स का अब तक कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन जागरूकता, सही जानकारी और बचाव के उपाय अपनाकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है।