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50% महिलाएं कैंसर का इलाज करवाने से क्यों करती हैं इनकार, क्या है असली वजह?

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 12 Feb, 2025 10:29 AM
50% महिलाएं कैंसर का इलाज करवाने से क्यों करती हैं इनकार, क्या है असली वजह?

नारी डेस्क: कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का पता लगने के बाद भी इलाज से मुंह मोड़ने वाली महिलाओं की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है। हाल ही में एक अध्ययन में सामने आया कि लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं, जिन्हें कैंसर के लक्षण दिखने के बावजूद इलाज की जरूरत होती है, अस्पताल जाने से कतराती हैं। ऐसा क्यों होता है? क्या इसके पीछे डर, शर्म या अन्य मानसिक और सामाजिक कारण हैं? इस गंभीर मुद्दे पर गहरी नजर डालते हैं और समझते हैं कि आखिर क्यों महिलाएं समय रहते इलाज के लिए कदम नहीं उठातीं।

ईशा प्रोजेक्ट के तहत कैंसर की स्क्रीनिंग

साल 2022 में ईशा (इंडियन स्टडी ऑफ हैल्दी एजिंग प्रोजेक्ट) के तहत कैंसर के नियंत्रण और रोकथाम के लिए कैंसर जांच शिविर आयोजित किए गए थे। यह कार्यक्रम आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य महिलाओं को कैंसर के बारे में जागरूक करना और समय पर स्क्रीनिंग करवाना था।

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1.6 लाख महिलाओं की स्क्रीनिंग

इस प्रोजेक्ट के तहत पंजाब के संगरूर, बरनाला, एस.ए.एस. नगर और रोपड़ जिलों में 1.6 लाख महिलाओं की ओरल, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर की जांच की गई। इस स्क्रीनिंग के माध्यम से कैंसर को जल्दी पहचानकर समय रहते इलाज किया जा सकता है।

स्वास्थ्य जांच शिविरों में महिलाओं को प्रेरित करना

प्रीवेंटिव ऑन्कोलॉजी विभाग के 80 से ज्यादा सदस्य गांव-गांव जाकर महिलाओं को कैंसर जांच शिविरों के लिए प्रेरित करते हैं। वे गुरुद्वारों, स्कूलों, आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं से संपर्क करके महिलाओं को शिविरों में शामिल होने के लिए उत्साहित करते हैं। शुरुआत में, महिलाओं के सामान्य स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाता है, जैसे बी.पी., बी.एम.आई. की जांच। इसके बाद, कैंसर की रोकथाम के बारे में जागरूक किया जाता है।

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कैंसर के लक्षण के बावजूद इलाज से बचती महिलाएं

 जिन महिलाओं को कैंसर के लक्षण मिल चुके हैं या जिनमें कैंसर की प्रारंभिक अवस्था पाई गई है, वे अस्पताल नहीं जातीं। उनका कहना है कि इलाज के डर से महिलाएं अस्पताल जाने से कतराती हैं, क्योंकि वे मानती हैं कि इलाज शुरू होने के बाद वे बीमारी से नहीं लड़ पाएंगी। ऐसे में, 50 प्रतिशत महिलाएं इलाज के लिए अस्पताल नहीं आतीं।

30 साल के बाद हर महिला की स्क्रीनिंग जरूरी

30 साल की उम्र के बाद हर महिला की स्क्रीनिंग होनी चाहिए। खासकर, सर्वाइकल कैंसर को पूरी तरह से रोका जा सकता है, लेकिन भारत में यह महिलाओं के बीच मृत्यु दर में दूसरे नंबर पर है। हालांकि, कई विकसित देशों ने इस कैंसर को खत्म कर दिया है।

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परिवारों से संपर्क कर इलाज के लिए प्रेरित करना

 महिलाओं को इलाज के लिए तैयार करने में परिवारों का सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है। इस प्रोजेक्ट के तहत, महिलाओं को कैंसर के बारे में शिक्षित किया जाता है और उनका समय पर इलाज सुनिश्चित किया जाता है, ताकि वे इस खतरनाक बीमारी से बच सकें।
 

 


 

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