नारी डेस्क: गर्भावस्था एक महिला के जीवन का बेहद संवेदनशील और महत्वपूर्ण समय होता है, जहां शारीरिक और मानसिक बदलावों का अनुभव होता है। हाल ही में जर्मनी के ट्यूबिंगन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने गर्भावस्था के दौरान नकारात्मक सोच और इसके अवसाद से संबंध पर एक अध्ययन किया है, जिसके परिणाम चौंकाने वाले हैं।
गर्भावस्था और Negative भावनाएं
गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर और मस्तिष्क में कई तरह के परिवर्तन होते हैं, जो उसकी भावनाओं पर गहरा प्रभाव डालते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, गर्भवती महिलाओं में नकारात्मक सोच की प्रवृत्ति उनके अवसाद का कारण बन सकती है। यह समस्या न केवल माताओं को प्रभावित करती है, बल्कि उनके नवजात बच्चों के साथ उनके संबंधों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है।
Depression और एमिग्डाला
अध्ययन में पाया गया कि गर्भवती महिलाओं के मस्तिष्क के एक विशेष हिस्से, जिसे *एमिग्डाला* कहा जाता है, में नकारात्मक भावनाएं और अवसाद के लक्षण एक साथ सक्रिय होते हैं। एमिग्डाला मस्तिष्क का वह हिस्सा है, जो भावनाओं और तनाव को नियंत्रित करता है। जिन महिलाओं की एमिग्डाला में कम गतिविधि पाई गई, वे अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में असफल रही हैं, जबकि जिन महिलाओं में अधिक गतिविधि देखी गई, उन्होंने अवसाद के अधिक लक्षण महसूस किए।
शोध के अनुसार, प्रसव के बाद हर सात में से एक महिला Depression से पीड़ित होती है। एमआरआई स्कैन के माध्यम से किए गए इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाएं जिन भावनात्मक परिवर्तनों से गुजरती हैं, वे प्रसव के बाद भी उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकते हैं। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि गर्भावस्था के दौरान मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों में होने वाले परिवर्तन Depression की संभावना को कैसे बढ़ाते हैं।
इस अध्ययन में 1500 महिलाओं पर शोध किया गया, जिससे यह पता चला कि गर्भावस्था के दौरान लगभग 7% महिलाएं Depression से प्रभावित होती हैं। अध्ययन में यह भी सुझाव दिया गया है कि गर्भावस्था के दौरान मस्तिष्क में होने वाले परिवर्तनों को समझने से महिलाओं में Depression की पहचान के लिए बायोमार्कर विकसित किए जा सकते हैं। इससे भविष्य में अवसाद के निदान और उपचार में मदद मिल सकती है।
गर्भवती महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य का महत्व
यह अध्ययन बताता है कि गर्भवती महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना कितना आवश्यक है। उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक सोच का गहरा असर पड़ सकता है, जो प्रसव के बाद भी बना रह सकता है। Depression को पहचानना और सही समय पर उसका उपचार करना आवश्यक है, ताकि न केवल महिला को, बल्कि उसके बच्चे को भी स्वस्थ और खुशहाल जीवन मिल सके।
इसलिए गर्भावस्था के दौरान सकारात्मक सोच और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार, महिलाओं को अपनी भावनाओं पर ध्यान देने और किसी भी प्रकार के मानसिक अस्थिरता के लक्षणों पर समय रहते चिकित्सकीय सहायता प्राप्त करनी चाहिए।