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जन्मों-जन्मों के पाप नष्ट करती है मोहिनी एकादशी, यहां पढ़िए व्रत की कथा और जानिए शुभ मुहूर्त

  • Edited By palak,
  • Updated: 24 Apr, 2023 06:14 PM
जन्मों-जन्मों के पाप नष्ट करती है मोहिनी एकादशी, यहां पढ़िए व्रत की कथा और जानिए शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में एकादशी की तिथि को बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, साल में मनाई जाने वाली 24 एकादशियों में से मोहिनी एकादशी को बहुत ही पावन और फलदायी माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, जो भी व्यक्ति इस दिन पूरी विधि के साथ व्रत करता है उसका जीवन बदल जाता है। व्यक्ति मोह माया के जाल से निकल जाता है और उसे जीवन में मोक्ष प्राप्त होता है। इस बार मोहिनी एकादशी कब मनाई जाएगी और इसके व्रत की क्या कथा है आज आपको इसके बारे में बताएंगे। तो चलिए जानते हैं....

इस दिन मनाई जाएगी मोहिनी एकादशी 

इस बार मोहिनी एकादशी का व्रत वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि में रखा जाता है। ऐसे में एकादशी तिथि इस बार 30 अप्रैल यानी रविवार को रात 08:28 पर शुरु होगी और इसका समापन 1 मई सोमवार 10:09 पर होगा। ऐसे में उदया तिथि की मानें तो मोहिनी एकादशी का व्रत इस बार 1 मई को रखा जाएगा।

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क्या है इस एकादशी का महत्व? 

मान्यताओं के मुताबिक, जब समुद्र मंथन हुआ था तो अमृत प्राप्त करने के बाद देवताओं और असुरों में हड़कंप मच गया था। वहीं ताकत के बल पर असुर देवताओं से भी ज्यादा शक्तिशाली थे। वह असुरों को हरा नहीं सकते थे। सभी देवताओं के आग्रह करने पर भगवान विष्णु ने मोहिनी का स्वरुप लिया। मोहिनी का स्वरुप धारण करके भगवान विष्णु ने अपने मोह माया के जाल में फंसाकर सारा अमृत देवताओं को पिला दिया। इसके बाद सभी देवताओं को अमरत्व प्राप्त हुआ इसलिए इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। 

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ये है व्रत कथा 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भद्रवावती नाम के सुंदर नगर में एक धनी व्यक्ति रहता था। उसका नाम धनपाल था। वह स्वभाव से बहुत ही नेक था और बहुत ही दानपुण्य भी किया करता था। उसके पांच बेटे थे जिसमें से सबसे छोटे बेटे का नाम धृष्टबुद्धि था । धृष्टबुद्धि हर समय बुरे कर्मों में लिप्त रहता था और अपने पिता का सारा पैसा लुटाता रहता था। एक दिन धनपाल ने उसकी सारी बुरी आदतों के कारण उसे अपने घर से निकाल दिया। घर से निकाल देने के बाद धृष्टबुद्धि दिन-रात शोक में डूबकर इधर-उधर भटकने लगा था। भटकते-भटकते वह महार्षि कौण्डिल्य के आश्रम में पहुंच गया। उस समय महार्षि गंगा से स्नान करके ही लौटे थे। अपने शोक से पीड़ित कौण्डिल्य ऋषि के पास गया और उनसे हाथ जोड़कर बोला - हे  ऋषि मुझ पर दया करके ऐसा कोई उपाय बताईए जिसके पुण्य से मैं अपने दुखों से मुक्ति पा सकूं। उसकी पीड़ा सुनते हुए महार्षि कौण्डिल्स ने उसे मोहिनी एकादशी का व्रत रखने के लिए कहा। महार्षि कौण्डिलय ने उसे मोहिनी एकादशी का व्रत रखने के लिए कहा। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं। धृष्टबुद्धि ने ऋषि की बताई हुई विधि के अनुसार व्रत किया और वह निष्पाप हो गया । 

कैसे करें पूजा? 

सुबह उठकर भगवान विष्णु के सामने बैठकर भगवान के मोहिनी रुप का ध्यान करें। इसके बाद भगवान विष्णु को स्नान करवाएं और उनका श्रृंगार करें। भगवान विष्णु को इस दिन नए कपड़े पहनाएं और उन्हें अक्षत, पुष्प, माला,चंदन, पीले वस्त्र और पीली मिठाई का भोग लगाएं। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हुए व्रत का संकल्प लें फिर उन्हें भोग लगाएं। भोग लगाकर आरती करें और भोग को प्रसाद के रुप में सभी के बीच बांटें। 

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