कोरोना काल में लगाए गए लाॅकडाउन की वजह से बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई करनी पड़ रही है। ऐसे में बच्चों में कई तरह की हेल्थ से संबंधित परेशानियां देखी जा रही है। एकटक स्क्रीन देखने से मासूमों की आंखों में ड्राईनेस होने लगी है। लगातार लैपटॉप या मोबाइल पर पढ़ाने से पिछले संक्रमण काल में बच्चों की आंखों के सूखने का समय 6 घंटा रहता था जो अब घटकर ढाई से तीन घंटा ही रह गया है, जोकि बेहद चिंता का विषय है। कोविड की दूसरी लहर के दौरान बच्चों में डिजिटल आई स्ट्रेन बीमारी का खतरा तीन गुना तक बढ़ गया है।
बच्चों की नेत्र समस्याओं को लेकर तैयार की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, रोज एक दर्जन से ज्यादा बच्चे सिर्फ डिजिटल आई स्ट्रेन के ही आ रहे हैं। रिपोर्ट में पाया गया है कि ऑनलाइन पढ़ाई से आंखें जल्दी थक रही हैं। आंखों से पानी आना, खुजली तो सामान्य है लेकिन पढ़ाई के दौरान जलन के साथ धुंधलापन अच्छे संकेत नहीं हैं।
डिजिटल आई स्ट्रेन का इफेक्ट, बच्चों के चश्मे का पॉवर बढ़ा
विशेषज्ञों के मुताबिक दूसरी लहर से पहले नेत्र विभाग में दो-तीन बच्चे ही डिजिटल आई स्ट्रेन के आते थे पर अब इजाफे से अभिभावक भी चिंता में हैं। रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल गेम से 6-9 साल के 17 बच्चों के चश्मे का पॉवर बढ़ गया है। इनमें कइयों को चश्मा हटने वाला था पर डिजिटल आई स्ट्रेन ने नंबर बढ़ा दिया।
जानिए क्या है डिजिटल आई स्ट्रेन
डिजिटल आई स्ट्रेन को कंप्यूटर विजन सिंड्रोम भी कहा जाता है। लंबे समय तक कंप्यूटर, टैबलेट, ई-रीडर और स्मार्टफोन के उपयोग से आंखों में चिकनाई खत्म हो जाती है। शुरुआती लक्षण में आंखों के तनाव से उलझन और बार-बार धुंधलापन होने की शिकायत सामने आती हैं फिर सिरदर्द, आंखों में सूखापन, पानी का बार -बार निकलना, गर्दन, पीठ और कंधे में दर्द होने लगता है।
डिजिटल आई स्ट्रेन के बचाव
-कंप्यूट पर काम करते समय एंटी ग्लेयर चश्मे का इस्तेमाल करें।
- स्क्रीन को आंखों के लेवल से 20 डिग्री नीचे रखें।
-हर दो घंटे के बाद 15 मिनट के लिए आंखों को आराम दें।
-20 मिनट के बाद 20 सेकेंड का ब्रेक लें।
-खाने में ओमेगा 3 फैटी एसिड बढ़ाने को सूखे मेवे, अलसी, सोयाबीन, ब्रोकली, हरी सब्जियां, फल और मछली बच्चों को दे सकते हैं।