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Covishield और Covaxin को मिली हरी झंडी, जानिए भारत के लिए क्यों है खास ये वैक्सीन

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 03 Jan, 2021 10:08 AM
Covishield और Covaxin को मिली हरी झंडी, जानिए भारत के लिए क्यों है खास ये वैक्सीन

साल 2021 शुरूआत में ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर (Pfizer) और बायोएनटेक (BioNTech) की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी मिल गई थी। इसके मुताबिक, अब कोई भी देश इसे आसानी से खरीद सकता है। इसी बीच, भारत से भी वैक्सीन को लेकर एक खुशखबरी सामने आ रही है। दरअसल, कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सीन (Covaxin) के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी गई है। हालांकि अभी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) का आखिरी फैसला आना अभी बाकी है। DCGI का अप्रूवल मिलते ही 6-7 दिनों तक टीकाकरण शुरू कर दिया जाएगा।

पूर्ण स्वदेशी है कोवैक्सीन

बता दें कि हैदराबाद की लैब में तैयार की जा रही कोवैक्सीन (Covaxin) पूरी तरह से स्वदेशी है जबकि कोविशील्ड (Covishield) को फार्मा कंपनी ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है। भारत में कोविशील्ड का निर्माण पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट (Serum Institute) कर रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, सीरम इंस्टीट्यूट ने वैक्सीन की 4 करोड़ डोज बना लिए हैं और जल्दी ही टीकाकरण शुरू किया जाएगा।

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कितनी होगी वैक्सीन की कीमत

माना जा रहा है कि दोनों वैक्सीन के एक डोज की कीमत करीब 100 रु तक हो सकती है। ऐसे में देशभर में वैक्सीन हुआ तो सरकार को 13 हजार 500 करोड़ रु के आस-पास का खर्च आएगा।

90% तक असरदार यह वैक्सीन

बता दें कि क्लीनिकल ट्रायल में कोविशील्ड 90% तक असरदार पाई गई थी, जिसके आधार पर इसके इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दे दी गई। रिपोर्ट के मुताबिक, यह वैक्सीन हर उम्र के लोगों पर असरदार है इसलिए इस वैक्सीन को भारत के लिए अच्छा माना जा रहा है। हालांकि भारत बायोटेक द्वारा निर्मित स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) भी ट्रायल में 90% तक असरदार पाई गई है और इसका कोई साइड-इफैक्ट भी नहीं हुआ।

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'कोविशील्ड' का रखरखाव है आसान

दरअसल, फाइजर की वैक्सीन के मुकाबले भारतीय वैज्ञानिकों के लिए कोविशील्ड का रखरखाव भी आसान है क्योंकि इसे सामान्य तापमान पर स्टोर किया जा सकता है। जबकि फाइजर की वैक्सीन के लिए -20 से माइनस 80 डिग्री तक के तापमान चाहिए होगा। इसलिए यह भारत के लिए खास मानी जा रही है क्योंकि भारत में फिलहाल डीप फ्रीजर की व्यवस्था उतनी बेहतर नहीं है।

ये हैं मौजूदा इंतजाम

अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2022 के आखिर तक 80 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग जाएगी, जिसके लिए 1.3-1.4 लाख टीकाकरण सेंटर की जरूरत होगी। टीकाकरण के लिए करीब 1 लाख हेल्थकेयर स्टाफ और 2 लाख एक्स्ट्रा स्टाफ की जरूरत होगी, जिनमें 60-70 हजार सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के स्वास्थ्यकर्मी हो सकते हैं।

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