कुछ दिन की राहत के बाद कोरोना ने फिर डराने लगा है। एक बार फिर कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि देखने को मिल रही है। विशेषज्ञ इसे कोरोना की चौथी लहर मान रहे हैं, जो बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक मानी जा रही है। ऐसे में बच्चों को कोरोना की चौथी लहर और संक्रंमण से बचाना एक बड़ी चुनौती है।
दिल का दौरा पड़ने का खतरा
एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कोरोना वायरस के अन्य स्वरूपों की तुलना में ओमीक्रोन स्वरूप बच्चों के लिए अधिक खतरनाक है, इससे उन्हें दिल का दौरा पड़ने और अन्य गंभीर जटिलताओं का खतरा अधिक है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के गौतम बौद्ध नगर में 107 नए कोविड-19 मामलों में से 30% से अधिक बच्चों में दर्ज किए गए हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि भले ही एक्सई के लक्षण हल्के हैं और उन पर ध्यान रखना जरूरी है।
तेजी से फैल रहा है एक्सई वेरिएंट
चिंता की बात यह है कि कोरोना के अब तक मिले वेरिएंट्स की तुलना में एक्सई वेरिएंट ज्यादा तेजी से फैलने वाला है। पिछले दो हफ्तों में बच्चों में फ्लू जैसे लक्षणों में बढ़ोतरी नजर आ रही है, ऐसे में उन पर ध्यान देना बेहद जरुरी है। अगर भिभावकों को बच्चों में ये लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
बुखार
नाक बहना
गले में दर्द
शरीर में दर्द
सूखी खांसी
उल्टी आना
लूज मोशन
बच्चों को ऐसे करें अलर्ट
सभी अभिभावकों को अपने बच्चों को कोरोना वायरस के प्रति जागरूक करना होगा।
बच्चों को यह जानकारी देनी होगी कि कोरोना वायरस किस प्रकार से फैलता है और इससे बचने के क्या उपाय हैं।
बच्चों को बताना होगा कक्षाओं में जाने से पहले मास्क अवश्य लगा कर जाएं।
बच्चे नियमित तौर पर हाथ धोते रहें।
बच्चों को स्कूल सैनिटाइजर देकर ही भेजें, बच्चे नियमित रूप से हाथ सैनिटाइज करते रहें।
घर से स्कूल आने-जाने और कक्षा में पढ़ाई करने के दौरान बिना वजह एकत्रित ना हो।
अगर अभिभावक अपने बच्चों को जागरूक करेंगे और हम सभी कोरोना वायरस के नियमों का पालन करेंगे तो कोरोना वायरस पर काफी आसानी के साथ नियंत्रण किया जा सकता है।
चिकित्सकों ने किया अलर्ट
वहीं चिकित्सकों का कहना है कि आने वाले दिनों में संक्रमण के मामलों में और वृद्धि हो सकती है। हालांकि, उनका कहना है कि मौजूदा हालात अधिक चिंताजनक नहीं हैं क्योंकि अधिकतर मामले हल्के संक्रमण के हैं और ये वायरस के ओमीक्रोन एक्सई स्वरूप के कारण हैं। सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसीन के प्रमुख डॉ जुगल किशोर ने कहा, 'यह स्वरूप अधिक तेजी से फैलता है लेकिन इससे हल्का संक्रमण हो रहा है। यह केवल ऊपरी श्वसन प्रणाली के संक्रमण का कारण बन रहा है।