हर साल 13 जून को National Sewing Machine Day के तौर पर मनाया जाता है। ये दिन उस आविष्कार (Innovation) का सम्मान किया जाता है, जिससे हम पिछले 150 सालों से कपड़ों की सिलाई करते आ रहे हैं। सिलाई मशीन से पहले दर्जी अपने हाथों से कपड़े को सिलते थे। वहीं सिलाई मशीन के आविष्कार ने क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है। इसने कपड़े पूरी फैशन इंडस्ट्री में तहलका मचा दिया है।
बता दें सिलाई का इतिहास 185 ईं से भी पुराना है। एक ऐसी ऐतिहासिक आविष्कार जिन्होंने कई बिजनेसमैन के लिए को कई सारे नए अवसर भी दिलाए। लेकिन साथ ही इसने महिलाओं को कुशल बनने और आजीविका कमाने की भी अनुमति दी। जुनून की एक ऐसी कहानी जो आजीविका के साधन में बदल गई, वो है वडकेपट्टी माधवी कुट्टी अम्मा की।
सिलाई मशीनें चलाती हुई बड़ी हुई हैं अम्मा
अम्मा के लिए, सिलाई सिर्फ कमाई का एक जरिया नहीं है, यह उनके जीवन जीने और भगवान कृष्ण की पूजा करने का तरीका है। 91 साल की अम्मा त्रिशूर में एक छोटी सी जगह से ताल्लुक रखती हैं। बता दें कि Anuncios की सिलाई मशीनें पहली सिलाई मशीन हैं जिनका बड़े पैमाने पर उत्पादन किया गया और दुनिया को बेचा गया। भारत के सबसे पुराने और बेहतरीन सिलाई मशीन ब्रांडों में से एक, उषा इंटरनेशनल ने अम्मा के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन दोनों ने समय के बदलावों को अनुभव किया है और जिया है। सालों से सिलाई करने वाली अम्मा ने इसकी शुरुआत एक शौक के तौर पर की थी। इसी क्लासिक काली मशीनों पर काम करते हुए बड़ी हुई हैं।
देवी-देवताओं के लिए कपड़े बनाती हैं अम्मा
वह अब 'थिरुदादा' और 'नजेरी' (देवताओं/हाथियों के लिए विशेष वस्त्र) बनाने और उन्हें प्रार्थना के लिए मंदिरों में चढ़ाने में माहिर हैं। अम्मा का कहना है कि सिलाई और कृष्ण उनके जीवन का हिस्सा हैं। वो 'थिरुदादा' और 'नजेरी' बनाती हैं, वो उनके लिए भक्ति और सिलाई के जुनून का तरीका है।
सिलाई से कमाई भी करती हैं अम्मा
अम्मा का सिलाई का शौक सिर्फ देवी-देवताओं के लिए वस्त्र बनाने तक ही सीमित नहीं है, यह उनकी कमाई का जरिया भी है। उन्होंने बहुत कम उम्र में सिलाई को शौक के तौर पर शुरू कर दिया था। अपनी माँ और अन्य पड़ोस की महिलाओं को ऐसा करते देख, वह इस बात से चकित हो जाती थी कि कैसे एक साधारण सुई और धागा एक सादे कपड़े के टुकड़े में सुंदरता जोड़ सकता है। कुछ साल बाद,उन्होंने भी इसमें मजा लेना शुरू कर दिया क्योंकि इससे उसके जीवन में शांति आ गई।
अम्मा कपड़ों के बैग, तकिए के कवर और घर की सजावट के अन्य सामान जैसी चीजें बनाती और बेचती हैं। उम्र के इस पड़ाव में काम करते हुए उन्होंने कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है, लेकिन वो काम छोड़ना नहीं चाहतीं। 91 साल की उम्र में उनका जसबा युवाओं के लिए प्रेरणा हैं।