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नाम ऊंचा दाम छोटा, सालों से एक रुपये में मरीजों का इलाज कर रहे हैं ये डॉक्टर दम्पति

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 13 Jul, 2023 12:08 PM
नाम ऊंचा दाम छोटा, सालों से एक रुपये में मरीजों का इलाज कर रहे हैं ये डॉक्टर दम्पति

आज के समय में भारत में ईलाज करवाना मतलब अपनी जेब पूरी तरह से खाली करना है। कुछ अस्पतालों की फीस इतनी ज्यादा है कि आम इंसान के लिए बेहद मुश्किल हो जाता है। हालांकि देश में कुछ ऐसे डॉक्टर हैं जो एक रुपये में भी लोगों का इलाज कर रहे हैं। इनका नाम तो बहुत बड़ा है लेकिन इनके दाम बहुत थोड़े हैं। चलिए जानते हैं ऐसे ही एक महान डॉक्टर के बारे में।

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सालों से लोगों की सेवा कर रहे हैं कोल्हे 

आज हम बात कर रहे हैं  डॉ. रव‍िंद्र कोल्हे और उनकी पत्नी पद्मश्री डॉ. स्म‍िता कोल्हे  की, जो सालों से लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। यह दोनों आदिवासी समुदाय के लोगों का इलाज करने के लिए महज एक रुपये फीस लेते हैं।रविंद्र को सामाजिक कार्यों के लिए 2011 में 10 लाख रु. का पुरस्कार भी मिला था, जिसे उन्होंने गांव में ऑपरेशन थिएटर बनाने में लगा दिया था।। 

 

खेती-किसानी पर भी दे रहे हैं ध्यान

वह सालों से अमरावती जिले के बैरागड गांव में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।  ये ऐसा गांव है, जहां पहुंचने के लिए मुख्य जिले से 25 किमी बस, फिर 30 किमी पैदल चलकर जाना पड़ता था।  स्मिता और रविंद्र अब एक कदम आगे बढ़ते हुए खेती-किसानी पर भी ध्यान दे रहे हैं। उनका कहना है- जब गांव के लोग अच्छा और पेट भर खाएंगे, तो बीमारियों का खतरा रहेगा ही नहीं। 

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बच्चों की मृत्यु दर में आई कमी

दरअसल डॉ.  रविन्द्र कोल्हे ने दमहात्मा गाँधी और विनोबा भावे से प्रभावित होकर र्निश्चय कर लिया था कि वो अपने हुनर का इस्तेमाल पैसों के लिए नहीं बल्कि जरुरतमंदो की मदद के लिए करेंगे। डॉ. कोल्हे ने निश्चय किया कि वे अपनी सेवायें ऐसी जगह को देंगे जहाँ दूर तक कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं है।  उनके इस प्रयास के कारण बैरागड में बच्चों की मृत्यु दर में काफी कमी आई है।,


साधारण तरीके से किया पत्नी का इलाज

बताया जाता है कि डॉ. स्मिता जब पहली बार मा बनने वाली थी तब डॉ. कोल्हे ने निश्चय किया था कि वो उनका प्रसव खुद करेंगे जैसा कि वो गाँव वालों का करते थे। पर किसी कारणवश बच्चे को मैनिंजाइटिस, निमोनिया और सेप्टिसीमिया हो गया। लोगो ने सुझाव दिया कि मां और बच्चे को बड़े अस्पताल में ले जाया जाये। पर  डॉ. स्मिता ने फैसला किया कि वो अपने बच्चे का इलाज़ गांव के बाकी बच्चों की तरह कराएंगी।

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केबीसी में आ चुका ये कपल

इस दम्पति ने पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली)  को भी अपने हाथ में लिया ताकि बारिश के वक़्त भी हर किसी को भोजन मिल सके। इस वजह से मेलघाट में कई सालो से अब कोई किसान आत्महत्या नहीं करता। बता दें कि ये दंपत्ति कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) 12 में नजर आए थे, जहां उनके काम को जानकर अमिताभ बच्चन ने भी उन्हें सलाम किया था। 
 

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