08 JANWEDNESDAY2025 2:07:42 PM
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नेपाल में आए 7.1 तीव्रता के भूकंप से 32 की जान गई, भारत और तिब्बत में भी महसूस हुए झटके!

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 07 Jan, 2025 12:20 PM
नेपाल में आए 7.1 तीव्रता के भूकंप से 32 की जान गई, भारत और तिब्बत में भी महसूस हुए झटके!

नारी डेस्क:  7 जनवरी, 2025 को नेपाल में 7.1 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया, जिससे न सिर्फ नेपाल के कई इलाकों में भारी तबाही मचाई, बल्कि भारत और तिब्बत के कुछ हिस्सों में भी धरती के झटके महसूस किए गए। इस भूकंप की तीव्रता के कारण नेपाल में कम से कम 32 लोगों की जान जा चुकी है। भूकंप के झटके बिहार, सिक्किम, और उत्तर बंगाल के इलाकों में भी महसूस किए गए थे, जबकि तिब्बत में इसकी तीव्रता 6.8 दर्ज की गई।

भूकंप के बाद की स्थिति

नेपाल और तिब्बत के आसपास के इलाकों में भूकंप के झटकों से भारी नुकसान हुआ है। रिपोर्ट्स के अनुसार, नेपाल के तिब्बत से सटे इलाकों में सबसे अधिक जान-माल का नुकसान हुआ। इसके अलावा, बिहार और उत्तर बंगाल के इलाकों में भी लोग भूकंप के झटके से सहम गए थे। मोतिहारी और समस्तीपुर जैसे इलाकों में 6:40 बजे के आसपास भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए।

रिक्टर स्केल और भूकंप की तीव्रता

भूकंप की तीव्रता को नापने के लिए वैज्ञानिक रिक्टर स्केल का उपयोग करते हैं। रिक्टर स्केल एक प्रकार का मापदंड है, जो भूकंप की तीव्रता को 1 से लेकर 9 तक मापता है। जब यह तीव्रता ज्यादा होती है, तो भूकंप के प्रभाव भी ज्यादा होते हैं।

रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता

1.9 तक: इस तरह के भूकंप का पता केवल सीज्मोग्राफ से चलता है। यह आमतौर पर महसूस नहीं होते। 2 से 2.9: हल्का कंपन महसूस होता है, लेकिन इसके प्रभाव कम होते हैं। 3 से 3.9: इस तीव्रता का भूकंप ऐसा लगता है जैसे कोई भारी वाहन गुज़र रहा हो। 4 से 4.9: इस स्तर के भूकंप में खिड़कियां टूट सकती हैं और दीवारों पर लगे फ्रेम गिर सकते हैं। 5 से 5.9: इस तीव्रता पर फर्नीचर हिलने लगते हैं और हल्की क्षति हो सकती है। 6 से 6.9: यह तीव्रता इमारतों की नींव को कमजोर कर सकती है, और कई संरचनाएं प्रभावित हो सकती हैं। 7 से 7.9: इस स्तर के भूकंप से इमारतें ढह सकती हैं, पाइपलाइनें फट सकती हैं और बड़े संरचनात्मक नुकसान हो सकता है। 8 से 8.9: इस तीव्रता वाले भूकंप में बड़े पुल और अन्य संरचनाएं गिर सकती हैं। 9 और उससे ऊपर: भारी तबाही और सुनामी का खतरा हो सकता है, जिससे व्यापक जनहानि हो सकती है।

भूकंप क्यों आते हैं?

भूकंप धरती के अंदर स्थित टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराने या आपस में खिसकने के कारण आते हैं। पृथ्वी की सतह पर सात मुख्य टेक्टोनिक प्लेट्स मौजूद हैं, जो लगातार गति करती रहती हैं। जब इन प्लेट्स के बीच दबाव बढ़ता है, तो यह भूकंप का कारण बनता है। जब यह प्लेट्स आपस में टकराती हैं या खिसकती हैं, तो धरती में हलचल मच जाती है और उसे हम भूकंप के रूप में महसूस करते हैं।

भूकंप के प्रभाव

भूकंप के कारण सबसे अधिक खतरा उन इलाकों में होता है, जहां इमारतें कमजोर होती हैं और संरचनात्मक सुरक्षा की कमी होती है। नेपाल जैसे पर्वतीय इलाकों में भूकंप का असर अधिक होता है, क्योंकि यहां की इमारतें अधिकतर पुराने तरीके से बनी होती हैं और भूकंप के झटके से जल्दी ढह जाती हैं।

भूकंप के कारण स्थानीय लोगों को जान-माल का नुकसान होता है, और कभी-कभी यह प्राकृतिक आपदा सुनामी जैसी अन्य आपदाओं का कारण बन सकती है। इसलिए, भूकंप आने के बाद के समय में बचाव और राहत कार्यों को तेज़ी से करना जरूरी होता है।

भारत और नेपाल में भूकंप के खतरे के बारे में क्या कहता है वैज्ञानिक अध्ययन?

नेपाल और भारत, दोनों ही भूकंप के जोखिम वाले क्षेत्र में आते हैं। यह क्षेत्र हिमालयी पट्टी के अंतर्गत आता है, जहां पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट्स एक-दूसरे से टकराती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, नेपाल और उत्तर भारत में अक्सर भूकंप आते रहते हैं। यह क्षेत्र 'सीस्मिक जोन' के अंतर्गत आता है, और यहां पर भूकंप के खतरे को लेकर लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है।

हाल ही में नेपाल, भारत और तिब्बत में महसूस हुए भूकंप के झटके ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्राकृतिक आपदाएं कब आ जाएं, इसका कोई पूर्वानुमान नहीं होता। हालांकि, इसके खतरे को लेकर वैज्ञानिक अनुसंधान और आधुनिक तकनीकी उपायों की मदद से हम पहले से ही तैयार रह सकते हैं और संभावित नुकसान को कम कर सकते हैं।
 
 

 

 

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