23 APRTUESDAY2024 11:07:24 PM
Nari

Chhath Puja: छठ पूजा में बांस की टोकरी को क्यों माना जाता है शुभ?

  • Edited By neetu,
  • Updated: 10 Nov, 2021 05:38 PM
Chhath Puja: छठ पूजा में बांस की टोकरी को क्यों माना जाता है शुभ?

8 नवंबर से छठ महापर्व का आरंभ हो चुका है। आज इस पर्व का तीसरा दिन है। इस पर्व को देश के कई हिस्सों में बड़ी धूमधाम से मनाने की परंपरा है। इस दौरान बाजारों में खूब रौनक देखने को मिलती है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार, बांस सुख समृद्धि का प्रतीक है। इसलिए हर जगह खासतौर पर बांस सूप, टोकरी, दउरा, डगरा, कोनी आदि बिकते हैं।

PunjabKesari

सुख समृद्धि का प्रतीक बांस

छठ महापर्व पर बांस से तैयार चीजें व सूप यानि टोकरी खासतौर पर इस्तेमाल में लाए जाते हैं। शास्त्रों में बांस से तैयार सूप का विशेष महत्व माना जाता है। बांस को शुद्धता, पवित्रता, सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। चलिए जानते हैं पूजा में बांस से तैयार सूप यै टोकरी का महत्व..

छठ पूजा में बांस के सूप या टोकरी का महत्व

चार दिवसीय इस पर्व में बांस के सूप या टोकरी का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि इसके बिना अधूरी मानी जाती है। पूजा दौरान भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सूप, टोकरी और दउरा का इस्तेमाल होता है। इस टोकरी में ही फल, प्रसाद रखकर घाट तक लेकर जाया जाता है। इसके साथ इससे ही महिलाएं सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं और छठी मइया को भेंट करती हैं। धार्मिक मान्यताओं अनुसार, छठ पूजा के दिन सूप से अर्घ्य देने से भगवान सूर्यदेव और भास्कर परिवार की रक्षा करते हैं। इसके वंश में वृद्धि होती है। कहा जाता है कि जिस तरह बांस मिट्टी में बिना किसी रुकावट के तेजी से बढ़ता है ठीक उसी तरह वंश का भी तेजी से विस्तार होता है।

PunjabKesari

रामायण और महाभारत काल में भी छठ पूजा वर्णन

छठ महापर्व देशभर के कई हिस्सों में बड़ी ही श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है। मगर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश आदि जगहों पर छठ इस पर्व की अलग धूम देखने को मिलती है। वहीं इस पर्व को मनाने का उल्लेख रामायण और महाभारत काल में भी किया गया है। कहा जाता है कि महाभारत काल में द्रौपदी ने नागड़ी गांव में कुएं के जल से सूर्य देव को अर्घ्य दिया था। इसके साथ ही छठ पर्व का व्रत रखा था।

छठ पूजा व व्रत करने का महत्व

मान्यता है कि इस व्रत में सूर्य देव और छठी मइया की पूजा की जाती है। इस व्रत को रखने से संतान सुख और अखंड सुहाग की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही घर में सुख-समृद्धि, खुशहाली व शांति का वास होता है।

PunjabKesari

Related News