उत्तर प्रदेश के मथुरा में वृन्दावन के ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी की रात भगवान के प्राकट्य के बाद होने वाली मंगला आरती में इस बार भी सिर्फ एक हजार भक्तों को ही मौजूद रहने की अनुमति दी जाएगी। अगर आप भी जन्माष्टमी के माैके पर कान्हा नगरी जा रहे हैं तो पहले नए नियमों को अच्छे से जान लें।
आगरा मण्डल की आयुक्त रितु माहेश्वरी ने जन्माष्टमी की तैयारियों के संबंध में बुलाई गई बैठक में कहा कि इस बार भी मंगला आरती के समय केवल एक हजार भक्त ही मंदिर में उपस्थित रहेंगे। उन्होंने कहा- चूंकि जन्माष्टमी के अवसर पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि वे आसानी से अपने ईश्ट देव का दर्शन भली प्रकार कर सकें और उन्हें इसमें कोई परेशानी न हो। दो साल पहले जन्माष्टमी के ही अवसर पर बांकेबिहारी मंदिर में भगवान के प्राकट्य के बाद मंगला आरती के समय अत्यधिक भीड़ के दबाव से दो महिला श्रद्धालुओं की दम घुटने से मौत हो गई थी।
इस घटना के मद्देनजर पिछले वर्ष से ही मंगला आरती के समय मंदिर प्रांगण में केवल एक हजार भक्तों को ही उपस्थित रहने की अनुमति दी गई। इस बार भी यही व्यवस्था रहेगी। बताया जा रहा है कि जन्मोत्सव के अवसर पर मथुरा के चौराहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए पांच मुख्य मंच तथा 19 छोटे मंच बनाये जाएंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए स्थानीय एवं बाहरी लोक गायकों, सांस्कृतिक दलों को आमंत्रित किया गया है।
बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती साल में सिर्फ एक बार, जन्माष्टमी के अगले दिन की सुबह होती है। इस आरती को देखने का अवसर भक्तों को साल में केवल इसी दिन मिलता है। यह आरती ब्रह्म मुहूर्त में की जाती है, जो कि सुबह बहुत जल्दी होती है। यह समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है, और इस समय भगवान की विशेष पूजा और आरती की जाती है।
बांके बिहारी मंदिर में अन्य आरतियां जैसे शृंगार आरती, राजभोग आरती, और संध्या आरती होती हैं, लेकिन मंगला आरती की खासियत यह है कि यह साल में केवल एक बार होती है, और इसे देखना बेहद शुभ माना जाता है। यह आरती भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण है।