ब्रेस्ट कैंसर एक ऐसी जानलेवा बीमारी है, जो महिलाओं को मौत के दरवाजे तक ले जाती है। वैसे तो यह बीमारी आजकल पुरुषों में भी देखने को मिल रही है लेकिन महिलाओं को इसका सबसे ज्यादा खतरा होता है। महिलाओं को इसकी पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है, ताकि समय रहते इसका इलाज किया जा सके। महिलाओं को इस बीमारी की जानकारी न होने के कारण वो इस बीमारी का शिकार हो जाती है। ऐसे में आज हम आपको ब्रेस्ट कैंसर के कारण और लक्षण बताएंगे, जिसे पहचानकर आप सही समय पर इलाज करवा सकती हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के कारण
गलत लाइफस्टाइल के साथ-साथ ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी ब्रा में सेलफोन रखने, शराब या धूम्रपान, गलत एंटीपर्सपिरेंट, बर्थ कंट्रोल पिल्स और आयोडीन की कमी के कारण हो सकती है। इसके अलावा बढ़ा हुआ वजन, बढ़ती उम्र, ज्यादा उम्र में पहले बच्चे का जन्म और आनुवंशिकता के कारण भी ब्रेस्ट कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
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ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
स्तन में गांठ
पीरियड्स के बाद ब्रेस्ट या अंडरआर्म में गांठ होना इस बीमारी का संकेत हैं। ऐसे में आप मैमोग्राम द्वारा ब्रेस्ट कैंसर की जांच करवाएं।
अंडरआर्म्स में दर्द
कैंसर की कोशिकाएं बढ़ने के कारण अंडरआर्म्स में दर्द, सूजन और गांठ पड़ने जैसी परेशानियां भी होती हैं। इस तरह के लक्षण दिखने पर आपको तुरंत जांच करवानी चाहिए।
निप्पल डिस्चार्ज
स्तन के निप्पल में से हल्का पानी जैसा डिस्चार्ज होना भी ब्रेस्ट कैंसर का संकेत होता है। इसके अलावा निप्पल का रंग और आकार बदलने पर तुरंत चेकअप करवाएं।
स्तन में दर्द होना
स्तन में दर्द, खुजली, या उसका लाल हो जाना भी इस बीमारी का कारण हो सकता है। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर आपको तुंरत डॉक्टर से सलाह लेकर अल्ट्रासाउंड या एमआरआई करवानी चाहिए।
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गर्दन के ऊपरी हिस्से में दर्द
कामकाज की वजह से महिलाओं की गर्दन में दर्द होना आम बात है। मगर ब्रेस्ट कैंसर के दौरान कैंसर की कोशिकाएं जब बढ़ने लगती हैं तो यह रीढ़ की हड्डी पर असर डालता है जिससे गर्दन में तेज दर्द और सूजन की समस्या होने लगती है।
थकावट
ब्रेस्ट कैंसर होने पर महिलाओं को हमेशा थकान महसूस होती है। कैंसर के सैल्स रक्त की कोशिकाओं पर दबाव डालते हैं जिससे शरीर अत्यधिक थकान महसूस करता है।
किन महिलाओं को होता है ज्यादा खतरा
स्त्री हार्मोन एस्ट्रोजन का ज्यादा स्राव स्तन कैंसर होने की आशंका बढ़ा देता है। इसके अलावा गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करने वाली और मोनोपॉज के बाद हार्मोन रिप्लेसमेंट कराने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा 20 गुणा ज्यादा होता है।
स्तनपान करवाने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम
जन्म के पहले छह महीनों में बच्चे को विटामिन और पोषक तत्वों से युक्त मां का दूध दिया जाता है। स्तनपान बच्चे के साथ-साथ महिलाओं के लिए भी फायदेमंद होता है। यह महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करता है। एक्सपर्ट के मुताबिक ज्यादा से ज्यादा 12 महीनों के लिए स्तनपान कराना महिलाओं के स्तन या गर्भाशय के विकास से जुड़ी समस्याओं को कम करता है।
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कैंसर से बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान...
40 के बाद करवाएं मेमोग्राफी
वैसे तो ब्रेस्ट कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन 40 साल की उम्र के बाद इसका खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में जरूरी है कि आप 40 के बाद 6-6 महीने के अंतराल में मेमोग्राफी जरूर करवाएं। इससे समय रहते इसके खतरे को टाला जा सकता है।
अल्कोहल और धूम्रपान से दूरी
अल्कोहल और धूम्रपान भी ब्रेस्ट कैंसर की वजह बन सकता है। ऐसे में कैंसर की रोकथाम के लिए जरूरी हैं कि आप इससे दूरी बनाएं।
सैर है बहुत जरूरी
सुबह की सैर कैंसर के साथ-साथ अन्य बीमारियों का खतरा भी काफी हद तक कम करती है। रोजाना कम से कम आधा घंटा पैदल जरूर चलने या रनिंग से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।
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डाइट का अहम रोल
ब्रेस्ट कैंसर से बचाव रखने में अपनी डाइट में मशरूम, लहसुन, प्याज, अदरक, हल्दी, पपीता, संतरा, गाजर, कद्दू, ग्रीन टी, ब्रोकली और हरी सब्जियां शामिल करें। इसके अलावा प्रोटीन फाइबर और फोलेट से भरपूर फलियां और दालें खाने से भी कैंसर की संभावना काफी हद तक कम होती है।
मोटापा करे कंट्रोल
बढ़ा हुआ मोटापा कैंसर के साथ-साथ डायबिटीज, ब्लड प्रैशर जैसी बीमारियों को भी न्यौता देता है। इससे बचाव करने के लिए सबसे पहले अपना वजन कंट्रोल में रखें। इससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा।