दुनिया में ऐसी बातें व किस्से जरुर सुने होगें जिसमें कहा जाता है कि मरने के व्यक्ति की कब्र को घर से बनना चाहिए। मरने के बाद घर में उनसे जुड़ी यादों को निकाल देना चाहिए,लेकिन भारत में ही एक ऐसा गांव है यहां न केवल लोगों की यादों को घरों में रखा जाता है साथ ही उन्हें घरों में ही दफनाया जाता है। परिवार के सदस्य अपनों के जाने के बाद उन्हें घर के ही सामने दफना देते है जिसके बाद रिश्तेदार भी उनके घर पर आना से डरते है। यह गांव आगरा में पाया जाता है।
डेढ़ हजार स्क्वेयर फीट में 10 लोगों को किया सुपुर्द ए खाक
आगरा जिले से 30 किमी दूर अछनेरा ब्लॉक के छह पोखर गांव में 200 के करीब मुस्लिम परिवार रहते है, जिनके घरों में ही कब्र बनी हुई है। 1964 में गांव में कब्रिस्तान की सारी जमीन तलाब बनाने के लिए चली गई थी। उसके बाद रेलवे लाइन की ओर से जमीन दी गई थी, लेकिन वहां के लोगों ने ही वहां पर अपना घर बना लिया था। वहीं घर के सामने पड़ी करीब डेढ़ हजार स्क्वेयर फीट की जमीन में 10 लोगों को सुपुर्द ए खाक किया गया था। पिछले डेढ़ दो साल से वहां पर 4 कब्रें बनी हुई थी। जिस कारण वहां पर बच्चों की शादी होना भी मुश्किल हो रहा है।
घर में नही बनती है पक्की कब्रे
गांव में जगह की कमी होने के कारण अब पक्की कब्रे नही बनती है। परिवार के किसी सदस्य का इंतकाल होने के बाद उन्हें घर के सामने ही दफना दिया जाता है। उसी जगह पर उनकी कब्रे बना दी जाती है। कई बार बच्चे यह कब्र देख कर डर भी जाते है। रात के समय में अगर उन्हें कोई साया दिख जाता है तो वह रोने लगते है। ऐसे में उन्हें रात को उठने व घर से निकलने में भी डर लगता है। इतना ही नही कई बार घर के चूल्हे का सामने कब्र बनी होती है तो खाने का पहला निवाला दफन हुए पुुरखों के लिए निकाल दिया जाता है। कई बार बच्चे डर- डर कर बीमार पड़ जाते है।
सरकार नही लेते है एक्शन
गांव के लोगों की ओर से कब्रिस्तान को लेकर प्रदर्शन व नेताओं को ज्ञापन दिया जा चुका है, लेकिन कोई एक्शन नही लिया जाता है। लोग आकर नपाई ले जाते है लेकिन जमीन नही देते है। कई बार कब्रिस्तान के लिए मकान हटाने की शर्त रखी जाती है लेकिन लोग मानते नही है तो सारी योजनाएं वैसी ही रह जाती है।
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