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11 सामग्रियां, भगवान भोलेनाथ को अर्पित करने से हर कामना होगी पूरी

  • Edited By Sunita Rajput,
  • Updated: 21 Feb, 2020 02:28 PM
11 सामग्रियां, भगवान भोलेनाथ को अर्पित करने से हर कामना होगी पूरी

आज महाशिवरात्रि है। इस दिन शादीशुदा महिलाओं से लेकर कुवांरी कन्याएं तक व्रत रखती हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर शिव की पूजा व व्रत रखने के बावजूद भी कुंवारी लड़कियां शिवलिंग को हाथ क्यों नहीं लगा सकती हैं? मान्यता है कि कुंवारी कन्याओं को शिवलिंग को हाथ नहीं लगा लगाना चाहिए। उनके द्वारा शिवलिंग की पूजा का ख्याल करना भी निषेध है क्योंकि भगवान शिव लीन रहते हैं। किसी स्त्री के कारण उनकी तपस्या भंग न हो, इसका ध्यान रखते हुए ये मान्यता प्रचलित हुई लेकिन वो शिवजी की पूजा जरूर कर सकती हैं। चलिए जानते हैं शिव पूजा में चढ़ाई जाने वाली इन 11 चीजों का महत्व...

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जल

शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव ही जल हैं, इसलिए शिव पर जल चढ़ाया जाता है। जल चढ़ाने का महत्तव भी समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा है। अग्नि के समान विष पीने के बाद शिव का कंठ एकदम नीला पड़ गया था। विष की ऊष्णता को शांत करके शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिव पूजा में जल का खास महत्तव है।

बिल्वपत्र

भगवान के तीन नेत्रों का प्रतीक है बिल्वपत्र। तीन पत्तियों वाला बिल्वपत्र शिव जी को अत्यंत्र प्रिय हैं। प्रभु आशुतोष के पबजन में अभिषेक व बिल्वपत्र का पहला स्थान है। ऋषियों ने कहा है कि बिल्वपत्र भोले-भंडारी को चढ़ाना व 1 करोड़ कन्याओं के कन्यादान का फल एक समान होता हैं।

आंकड़ा

शास्त्रों के मुताबिक शिव पूजा में एक आंकड़े का फूल चढ़ाना सोने के दान के बराबर होता हैं।

धतूरा

भगवान शिव को धतूरा भी बेहद प्रिय है। भगवान शिव कैलाश पर्वत पर रहते हैं जोकि काफी ठंडा क्षेत्र है। यहां ऐसा आहार और औषधि की जरूरत होती हैं जो शरीर को ऊष्मा प्रदान करें। धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो शिव जी ने जब सागर मंथन से निकले हलाहल विष को पी लिया था तब वह व्याकुल होने लगे। तब अश्विनी कुमारों ने भांग, धतूरा, बेल आदि के जरिए शिव जी की व्याकुलता को दूर किया था। बस उस समय से ही शिव जी को भांग, धतूरा प्रिय है।

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भांग

शिव हमेशा ध्यानमग्न रहते हैं। भांग ध्यान केंद्रित करने में मददगार होती है। इससे वो हमेशा परमानंद में रहते हैं। समुद्र मंथन में निकले विष का सेवन करने के कारण उन्हें औषधि स्वरूप भांग दी गई,इसलिए उन्हें भांग भी प्रिय है।

कपूर

शिव का प्रिय मंत्र हैं कर्पूरगौर करुणावतार...यानी जो कर्पूर की सुगंध वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाती है। भगवान भोलेनाथ को इस महक से प्यार है। इसके अलावा कर्पूर पूजन में अनिवार्य है।

दूध

दूध का सेवन ना करते हुए शिव को अर्पित करने का विधाण बनाया गया है।

चावल

चावल को अक्षत भी कहा जाता है और इसका अर्थ होता हैं टूटा हुआ ना हो। इसका रंग सफेद होता है जोकि पूजन अनिवार्य माना जाता है। किसी भी पूजन के समय गुलाल, हल्दी, अबीर और कुमकुम अर्पित करने के बाद अक्षत चढ़ाए जाते हैं, यह ना हो तो शिव पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती हैं।

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चंदन

चंदन का संबंध शितलता से है। भगवान शिव मस्तक पर चंदन का त्रिपुंड लगाते हैं। चंदन का इस्तेमाल हवन में किया जाता है और इसकी खुशबू से वातावरण और भी खिल जाता है। यदि शिव जी को चंदन चढ़ाए तो इससे मान-सम्मान और यश बढ़ता है।

भस्म

इसका अर्थ पवित्रता में छिपा हैं, वो पवित्रता जिसे भगवान शिव ने एक मृत व्यक्ति की जली हुई चिता में खोजा है जिसे अपने तनपर लगाकर वो उस पवित्रता को सम्मान देते है। कहा जाता है कि शरीर पर भस्म लगाकर भगवान शिव खुद को मृत आत्मा से जोड़ते हैं।

रूद्राक्ष

भगवान शिव ने रूद्राक्ष उत्पति कथा पार्वती से कही हैं। एक समय भगवान शिव जी ने एक हजार वर्ष तक समाधि लगाई। समाधि पूर्ण होने के बाद जब उनका मन बाहरी जगत में आया तब जगत के कल्याण की कामना वाले महादेव ने अपनी आंख बंद की। उसी वक्त उनके नेत्र से जल के बिंदू पृथ्वी पर गिरे और उन्हीं से रूद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए। उन वृक्षों पर जो फल लगे वो रूद्राक्ष है।

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कहा जाता है कि शिव पूजा में इन 11 चीजों को चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी मनो-कामनाए पूरी करते हैं। तो आप काल के भी महाकाल भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा में जरूर शामिल करें ये चीजें...

 

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