मोटापा कम करने के लिए कुछ लोग यो-यो डाइटिंग का सहारा लेते हैं। इसे वेट साइकल भी कहा जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि इससे वजन जल्दी कम होता है लेकिन वजन घटाने और बढ़ाने की यह प्रक्रिया आपको परेशानी में भी डाल सकती है। इससे सिर्फ स्ट्रोक का ही खतरा नहीं होता बल्कि यह डाइट मौत का कारण भी बन सकती है।
क्या है Yo-Yo Dieting?
यो-यो डाइटिंग के जरिए वेट साइकल की प्रक्रिया को जारी रखा जाता है। इसमें वजन घटाने के लिए कभी खाना बिल्कुल छोड़ दिया जाता है तो कभी अच्छा रिजल्ट न मिलने के कारण खाने की प्रक्रिया दोबारा शुरू कर दी जाती है। यो-यो डाइटिंग से कभी वेट कम होना तो कभी बढ़ना लगा रहता है।
मेटाबॉलिज्म रेट कम
इस डाइट को फॉलो करने से वेट कम तो होता है लेकिन इससे ज्यादा सेहत को नुकसान पहुंचता है। बॉडी फैट के साथ-साथ मांसपेशियां बुरी तरह से प्रभावित होती हैं। शरीर में अचानक आने वाले ये बदलाव मोटाबॉलिज्म को बुरी तरह से असंतुलित कर देते हैं।
दिल के मरीजों के लिए खतरा
दिल के रोगियों को इस तरह की डाइट बिल्कुल भी फॉलो नहीं करनी चाहिए। ऐसा करना मौत को दावत देने जैसा हो सकता है। वहीं, कोई स्वस्थ व्यक्ति अगर यो-यो डाइट फॉलो कर रहा है तो उसे दिल के रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी से कार्टिसोल हार्मोन्स में गड़बड़ी पैदा होने लगती है। जिससे वेट साइकल बायोलॉजिकल प्रक्रिया भी प्रभावित होती है और आप जल्दी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं।
1-2 किलो वजन कम करने वाले सुरक्षित
यो-यो डाइट फॉलो करने वाले लोगों पर की गई रिसर्च में यह बात सामने आई कि जिन लोगों ने इस प्रक्रिया के जरिए 1-2 किलो वजन कम किया वे दिल की बीमारियों से सुरक्षित रहे। वहीं, दूसरी तरफ 8 पाउंड या उससे ज्यादा वजन कम करने वालों के लिए हार्ट डिजीज की संभावना या खतरा ज्यादा रहा।
5 साल तक एक ही वजन पर टिकने वाले लोग हैल्दी
रिसर्च में यह बात भी सामने आई कि जो लोग 5 साल से एक ही वजन पर टिके हुए हैं दूसरों के मुकाबले वे ज्यादा स्वस्थ हैं। जबकि तेजी से वेट कम और बढ़ने वाले लोगो में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे ज्यादा देखे गए। बार-बार वेट के उतार चढ़ाव से ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर लेवल असंतुलित होने के कारण इस तरह के खतरे बढ़ जाते हैं।