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धनतेरस पर क्यों करते हैं खरीददारी? (Pix)

  • Updated: 28 Oct, 2016 04:28 PM
धनतेरस पर क्यों करते हैं खरीददारी? (Pix)

दीवाली से 2 दिन पहले लोग धनत्रयोदशी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था इसलिए इसे धनतेरस के रूप में पूजा जाता हैं। धन और वैभव देने वाली इस त्रयोदशी का विशेष महत्व माना गया है। लोग इस दिन गहनों और बर्तनों की खरीददारी करते हैं।

क्यों खरीदते हैं पीतल
ऐसी मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु लंबे समय तक चलती हैं और  वस्तु शुभ फल प्रदान करती है लेकिन अगर पीतल की खरीद-दारी की जाए तो इसका तेरह गुना अधिक लाभ मिलता है। कहा जाता है कि पीतल भगवान धनवंतरी की प्रिय धातु है। भगवान धनवंतरी को नारायण भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो भुजाओं में उन्होंने शंख और चक्र धारण किए हुए हैं,  दूसरी दो भुजाओं में औषधि के साथ वे अमृत कलश लिए हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि यह अमृत कलश पीतल का बना हुआ है। 

पूजा-पाठ में क्यों है पीतल का महत्व? 
तांबे और जस्ता धातु को मिलाकर ही पीतल का निर्माण होता है। धार्मिक कर्म और सनातन धर्म में पूजा-पाठ के लिए पीतल के बर्तन का इस्तेमाल होता था। महाभारत में एक किस्सा भी वर्णित है। सूर्यदेव ने द्रौपदी को पीतल का अक्षयपात्र वरदान में दिया था जिसकी विशेषता थी कि द्रौपदी चाहे जितने लोगों को भोजन करा दें, खाना कम नहीं होता था।

दीया जलाना ना भूलें
धनतेरस की शॉपिंग में बिजी होकर शाम के समय दीपदान करना ना भूलें। धनतेरस की शाम दीपदान का भी बड़ा महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि इससे यमराज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु से बचाव होता है। इससे जुड़ी एक कथा है। एक बार यमराज ने यमदूतों से कहा कि लोगों के प्राण हरते समय तुम्हें कभी दुख हुआ है। इस पर यमदूत ने कहा कि एक बार एक राजकुमार के प्राण हरते समय हमें बहुत दुःख हुआ था। राजकुमार की शादी के चार ही दिन हुए थे। राजमहल में विलाप और हाहाकार मच गया , जिससे हमारा हदय हमें धिक्कारने लगा। उन्होंने यमदेव से कहा कि आप कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे प्राणी की अकाल मृत्यु ना हो। यमराज ने कहा कि 'जो व्यक्ति धनतेरस के दिन मेरे नाम से दीप जलाकर मुझे स्मरण करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं सताएगा।'
 

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