प्रोजेस्ट्रॉन, एक ऐसा हार्मोन है जो महिलाओं के शरीर में प्राकृतिक रूप से बनता है। इसे 'प्रेग्नेंसी हार्मोन' भी कहा जाता है क्योंकि यह हार्मोन महिला को गर्भवती होने और भ्रूण के विकास, दोनों के लिए जरूरी है। इसकी कमी से महिलाओं को ना सिर्फ प्रेग्नेंसी में दिक्कत होती है बल्कि यह गर्भपात, डिप्रेशन, इंफर्टीलिटी, थाइराइड डिस्फंक्शन, वजन बढ़ना और अनियमित पीरियड्स जैसी समस्याएं भी पैदा करता है। इतना ही नहीं, प्रेग्नेंसी के दौरान इस हार्मोन की कमी गर्भपात का खतरा भी पैदा कर सकती है। चलिए आपको बताते हैं कि शरीर में इसकी कमी से आपको क्या-क्या परेशानियां हो सकती है और कैसे इसकी कमी को पूरा किया जाए।
क्या है प्रोजेस्टेरोन?
प्रोजेस्टेरोन, एक फीमेल सेक्स हार्मोन है, जो अंडाशय (Ovaries) में बनता है और महिलाओं को प्रति माह होने वाले मासिक धर्म, प्रेगनेंसी एवं प्रजनन क्षमता (Fertility) बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।
सिर्फ प्रेग्नेंसी नहीं, इसलिए भी जरूरी है यह हार्मोन
सिर्फ गर्भवती होने के लिए नहीं बल्कि पीरियड्स साइकल को सही रखने के लिए भी यह हार्मोन बहुत जरूरी है। दरअसल, यह हार्मोन शरीर में प्रोजेस्टेरॉन के स्तर को बढ़ाता है, जिससे ऑव्युलेशन की प्रक्रिया सही रहती है।
गर्भपात का बढ़ रहा है खतरा
गर्भाशय में जिस जगह पर अंडे होते हैं, वहां पर यह हार्मोन एक परत का निर्माण करता है। अंडाशय इस हार्मोन का उत्पादन गर्भावस्था की तीसरी तिमाही तक करता है, जो लगभग 9-10वें सप्ताह में प्लासेंटा अंडाशय पर अपना स्थान ले लेता है। यदि इस हार्मोन के स्तर में गिरावट आ जाए तो गर्भपात हो सकता है।
गर्भधारण में प्रोजेस्ट्रॉन की भूमिका
प्रोजेस्टेरोन का काम गर्भाशय (Uterus) को कंसीव करने के लिए तैयार करता है। पीरियड्स के लगभग 2 हफ्ते बाद ओवूलेशन प्रक्रिया का टाइम होता है और इसी दौरान अंडाशय गर्भाशय की जरूरत अनुसार इस हार्मोन का उत्पादन करता है। इसके बाद प्रोजेस्टेरॉन गर्भाशय के अंदर (अंतर्गर्भाशयकला या इंडोमेट्रियम) की परत को मोटा करता है, जिससे गर्भाश्य में अंडे के लिए सही वातावरण तैयार हो जाता है और महिला को कंसीव करने में आसानी होती है।
भ्रूण के विकास के लिए भी है जरूरी
यह सिर्फ प्रेग्नेंसी ही नहीं बल्कि उसके बाद भी जरूरी होता है क्योंकि इससे भ्रूण का विकास सही तरीके से होता है। गर्भधारण करने के 8 से 10 हफ्ते बाद गर्भाशय में इस हार्मोन की जरूर बढ़ जाती है। इसके कारण गर्भाशय अधिक मात्रा में प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन का उत्पादन करता है।
हार्मोन की कमी के कारण
एस्टोजन का बढ़ना
अधिक तनाव लेना
ज्यादा एक्सरसाइज करना
पोषक तत्वों की कमी
दवाओं का अधिक सेवन
कमी के लक्षण
माइग्रेन और सिरदर्द होना
मूड बदलते रहना
चिंता व डिप्रेशन होना
माहवारी का अनियमित होना
असामान्य रूप से ब्लीडिंग होना
ओवरी का ठीक तरीके से काम न करना
जी मिचलाना
ब्रेस्ट में ढीलापन
कैसे बढ़ाएं प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन?
कई बार हेल्थ कंडीशन के चलते महिलाओं का गर्भाश्य इस हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाता, जिसके चलते उन्हें कंसीव करने में परेशानी होती है। ऐसे में आपको हार्मोन का स्तर जानने के लिए पहले तो जांच करवानी चाहिए। अगर शरीर में इसकी कमी है तो आप इसके लिए डॉक्टर से सलाह लें। हालांकि मार्कीट में ऐसे कई प्रोडक्ट्स मिल जाते हैं, जिससे शरीर में इनकी कमी को पूरा किया जा सकता है। इसके अलावा कम से कम स्ट्रेस लें और रोजाना योग, मेडिटेशन व व्यायाम करें।
हार्मोन बढ़ाने वाले फूड्स
विटामिन बी-6
विटामिन बी-6 वाले फूड्स हार्मोन के स्तर को बैलेंस करने में मदद करते हैं। इसके लिए डािट में टूना मछली, पालक, केला, आलू, सूरजमुखी का बीज और लीन रेड मीट को शामिल करें।
जिंक युक्त फूड्स
जिंक प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर कंट्रोल करने के साथ प्रजनन क्षमता को भी बढ़ाता है। शेल फिश, बादाम, सेम और राजमा और लौकी में जिंक भरपूर मात्रा में होता है।
विटामिन-सी
विटामिन सी एंटीऑक्सीडेंट का कार्य करता है और अंडाशय में स्वस्थ अंडों के उत्पादन में मदद करता है। इसके लिए आप डाइट में संतरे, ब्रोकली, डार्क हरी सब्जियों को शामिल कर सकते हैं।
पालक
प्रोजेस्टेरोन के स्राव को बढ़ाने के लिए पालक का सेवन बेहद फायदेमंद है। इसमें मैग्नीशियम होता है जो इसके स्तर को सही बनाए रखता है।
काला बीन्स
काले बीन्स मैग्नीशियम का सबसे अच्छा स्रोत होते हैं। इसके अलावा भिंडी, काला चना, नट्स आदि का सेवन भी इस हार्मोन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है।