हिंदू धर्म में हर महीने कई तरह के त्योहार और व्रत आते है जिनकी अपनी मान्यता होती है। हर व्रत और पूजा से पहले देवों के देव प्रथम भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। उसी तरह हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। जब यह व्रत मंगलवार के दिन होता है तो उसे अंगारक गणेश चतुर्थी कहा जाता है। इस साल यह व्रत 28 जनवरी के दिन आ रहा है।
महत्व
इस व्रत का महत्व न केवल उत्तर भारत बल्कि महाराष्ट्र और तमिलनाडु में भी काफी है। शिव पुराण के अनुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन दोपहर को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। जिसके बाद दुनिया में शुभ समय की शुरुआत हुई थी।तब ब्रह्मदेव ने चतुर्दशी के दिन व्रत रखने के महत्व बताया । माना जाता है कि व्रत रखने से कर्ज और बीमारियां दूर होती है।
व्रत की विधि
सुबह स्नान करके दोपहर के समय अपनी इच्छा से सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी के बर्तन में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें। गणेश जी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ा कर गणेश मंत्र (ऊँ गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं। अब बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगा कर 5 लड्डू मूर्ति के पास रख रखे और 5 लड्डू ब्राह्मण को दान करें। बाकी लड्डू प्रसाद के तौर पर बांट दें। अपनी श्रद्धा के अनुसार आप इस दिन व्रत भी रख सकती है।
साल में 3 बार बनेगा संयोग
इस बार साल इस व्रत का संयोग 3 बार बनेगा। इस व्रत के दौरान भगवान श्रीगणेश की विधि-विधान के साथ पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है।
इस साल ये है मुहूर्त
28 जनवरी - माघ मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी, तिलकुंद चतुर्थी
26 मई - ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी, अंगारकी विनायक चतुर्थी
20 अक्टूबर - अश्विन मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी, अंगारकी विनायक चतुर्थी
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