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औरतों को दूसरी प्रेगनेंसी में दिक्कत क्यों आती है?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 12 Sep, 2019 01:35 PM
औरतों को दूसरी प्रेगनेंसी में दिक्कत क्यों आती है?

मां बनना हर औरत के लिए वरदान होता है। लेकिन दूसरी बार गर्भधारण करने में महिलाओं को कई तरह की समस्यायों का सामना करना पड़ता है। वहीं प्रेगनेंसी कंसीव करने के बाद भी महिलाओं को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

 

हाल ही में बॉलीवुड एक्ट्रेस लीजा हेडन ने इस्टांग्राम पर एक पोस्ट शेयर कर बताया कि उन्हें दूसरी प्रेगनेंसी में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा, मेरे लिए दूसरी बार मां उतना आसान नहीं है कि जितना पहली बार लगा था। पहली तिमाही में मुझे काफी मुश्किल हुई। ये बिल्कुल भी उनकी पहली प्रेगनेंसी की तरह नहीं है।

प्रेगनेंसी कंसीव ना कर पाना है पहली समस्या

सबसे पहली समस्या महिलाओं के सामने जो आती है वो है कंसीव ना कर पाने की, जिसका कारण है असामान्य ओवुलेशन। साथ ही पहली प्रेगनेंसी के दौरान आप जो दवाइयां लेती हैं उसका असर भी आपकी फर्टिलिटी पर पड़ता है।
-महिलाओं की लो फर्टिलिटी या पार्टनर के कमजोर स्पर्म के कारण 20 बार में एक बार दूसरी बार गर्भधारण करने की संभावना होती है। दूसरी बार गर्भाधारण के लिए इससे ज्यादा बार कोशिश करनी पड़ सकती है। फर्टीलिटी बढ़ाने वाले आहार और आपकी जीवनशैली पर दूसरी बार का गर्भ निर्भर करता है।
-वहीं जो महिलाएं 35 साल के बाद गर्भधारण करती है उन्हें डिलीवरी के समय कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
-साथ ही तनाव भी आपकी दूसरी बार गर्भधारण करने में समस्या करता है। दूसरी बार गर्भधारण करने से पहले अक्सर कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

हालांकि इसका मतलब ये नहीं कि प्रेगनेंसी कंसीव करना मुश्किल है। अगर दोबारा गर्भधारण करने की आपकी कोशिशें कामयाब नहीं हो रही हैं तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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अब हम आपको बताते हैं कि पहली और दूसरी प्रेगनेंसी में फर्क क्या होता है...

जल्दी वजन बढ़ना

पहली गर्भावस्था के मुकाबले दूसरी बार गर्भवती होने पर महिला मे सबसे बड़ा अंतर यह आता है कि पेट जल्दी बाहर निकल जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पहली गर्भावस्था के समय एब्डॉमिनल एरिया में खिंचाव आ जाता है लेकिन दूसरी बार खिंचाव नहीं आता बल्कि जल्दी पेट बाहर आ जाता है। साथ ही दूसरी बाद मां बनने पर गर्भावस्था के दौरान स्तनों मे भी कोई अधिक बदलाव नहीं आते।

जल्दी हो जाती है डिलीवरी

पहली बार मां बनने वाली महिलाओं के लिए सामान्यतया प्रसव का समय 8 घंटे का होता है लेकिन दूसरी बार इसी समय को 5 घंटे देखा गया है। पहले बच्चे के जन्म के समय मांसपेशियां ढीली पड़ जाती है इसलिए दूसरे शिशु के जन्म में ज्यादा समय भी नहीं लगता है।

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कॉम्प्लिकेशन

अगर पहली वाली प्रेगनेंसी में कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं थे तो डरे नहीं क्योंकि जरूरी नहीं की इस बार भी होंगे। यह आपकी बॉडी, उम्र और खान-पान पर निर्भर करता है कि प्रेगनेंसी में कॉम्प्लिकेशन होंगी या नहीं।

जरूरी नहीं है सर्जरी

पहली डिलीवरी सिजेरियन हुई थी तो जरूरी नहीं की दूसरी बार भी सर्जरी हो। मॉर्मल डिलीवरी के चांसेस भी होते हैं। साथ ही बेबी क्किस भी आपको पहली की तुलना में ज्यादा व जल्दी महसूस होंगी।

कम होता है लेबर पेन

पहली प्रेगनेंसी की तुलना में अब आप कम बुक्स पढ़ेंगी और आपके में मन में सवाल भी कम आएंगे। लेबर पेन को लेकर भी आपके मन में कोई सवाल नहीं रहेंगे और आपका डर भी कम हो जाएगा।

मॉर्निंग सिकनेस

मॉर्निंग सिकनेस पहले थी तो जरूर नहीं की इस बार भी हो। साथ ही शरीर में होने वाली तकलीफ व दर्द भी पहले की तुलना में कम या ज्यादा हो सकती है। इसके अलावा जो चीज आपको पहले पसंद थी, जरूर नहीं की वो इस बार भी हो। स्वाद बदलने की संभावना अधिक रहती है।

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