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महिलाओं में बढ़ रहा है यूट्रस ट्यूमर का खतरा, कैसे रखें खुद का बचाव?

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 28 Aug, 2019 01:33 PM
महिलाओं में बढ़ रहा है यूट्रस ट्यूमर का खतरा, कैसे रखें खुद का बचाव?

गलत खान-पान और भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण आजकल 10 में से 7 महिलाएं किसी न किसी हैल्थ प्रॉब्लम की शिकार हैं। इन्हीं में से एक हैं गर्भाश्य में ट्यूमर। पिछले कुछ सालों से महिलाओं में से यह समस्या तेजी से बढ़ती दिख रही है। भारत में कुल 1/3 महिलाएं गर्भाशय ट्यूमर से पीड़ित है, जिसमें 30 से 45 साल की उम्र की महिलाओं की संख्या ज्यादा है।

 

महिलाओं में तेजी से बढ़ता गर्भाशय ट्यूमर

शोध के अनुसार, हर साल लगभग 1.5 लाख महिलाओं को बच्चेदानी में ट्यूमर होता है और इनमें से 62 हजार की मौत हो जाती है। गर्भाशय ट्यूमर ऐसी बीमारी है जो आंत, मूत्राशय, लिम्फ नोड्स, पेट, लिवर और फेफड़ों को प्रभावित करता है। अगर समय रहते इसका इलाज ना किया जाए तो यह कैंसर का रूप ले लेती है।

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चलिए आपको बताते हैं कि महिलाओं में यह बीमारी क्यों बढ़ रही है और इससे बचाव कैसे किया जाए।

कैसे फैलती है यह बीमारी?

यह बीमारी एचपीवी (ह्यूमन पौपीलोमा वायरस) से फैलता है। हालांकि सही समय पर सही इलाज से इस वायरस को खत्म भी किया जा सकता है लेकिन इसकी अनदेखी महिलाओं के लिए मौत का कारण बन सकती है। ऐसे में जरूरी है कि 30 की उम्र के बाद महिलाएं इसकी नियमित जांच करवाएं।

ट्यूमर के कारण

-इसका सबसे पहला कारण तो माहवारी के समय होने वाला इंफेक्शन है। दरअसल, महिलाएं पीरियड्स के समय पर्सनल हाइजीन का ख्याल नहीं रखती। एक ही पैड का लंबे समय तक इस्तेमाल  और प्राइवेट पार्ट की सफाई ना करने से इसका खतरा बढ़ जाता है।
-गर्भनिरोधक दवाओं का लंबे समय तक सेवन करने से भी इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा बार-बार गर्भधारण करना, कई लोगों के साथ शारीरिक संबंध या कम उम्र में शादी भी इसके कारण हो सकते हैं।

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किन महिलाओं को अधिक खतरा

जिन महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन की अधिक मात्रा होती है उनके गर्भाशय में ट्यूमर के बनने की आशंका कम होती है। जो महिलाएं पीरियड्स के संक्रमण से गुजर रही हैं उनमें टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजेन हार्मोन का अधिक होना गर्भाशय ट्यूमर के खतरे को बढ़ा देता है।

गर्भाशय ट्यूमर के लक्षण

गर्भाशय के कैंसर का शुरुआती लक्षण ट्यूमर बनना ही है। अगर ट्यूमर के लक्षणों को पहचानकर इसका इलाज करवा लिया जाए तो आप कैंसर के खतरे से बच सकती हैं।

-पेट में दर्द, थकान व कमजोरी होना।
-पीठ के निचले हिस्से में लगातार दर्द रहना।
-मेनोपॉज के बाद अचानक ब्लीडिंग शुरू होना।
-यूरिन के साथ खून आना, यूरिन पर बिल्कुल नियंत्रण न कर पाना।
-मल त्याग के समय दर्द होना, ट्यूटर छोटी आंत, पेट व मूत्राशय पर दबाव डालती है।

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इलाज

ट्यूमर के इलाज के वैक्सीन उपलब्ध है जिसे डॉक्टर की सलाह पर तीन हिस्सों में दिया जाता है। इससे ट्यूमर खत्म हो जाता है और कैंसर का खतरा भी टल जाता है। इसके अलावा मामला गंभीर होने पर डॉक्टर कई बार सर्जरी की सलाह भी देते हैं।

कैसे रखें बचाव?

इस बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि आप खुद को एक्टिव रखें। डाइट में फल, सब्जियां, मछली, नट्स, अलसी के बीज, बीन्स, ब्रोकली का सेवन अधिक करें और मार्केट के खाद्य पदार्थों से दूर ही रहें। ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। साथ ही फिजिकली एक्टिव रहें और डेली रूटीन में योग व एक्सरसाइज को शामिल करें।

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अगर महिलाओं को शरीर के किसी भी हिस्से में किसी भी तरह के बदलाव का पता चले या कोई परेशानी हो तो तुरंत जांच करानी चाहिए। अगर समय रहते बीमारी को पहचान लिया जाए तो मरीज की बचाई जा सकती है।

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