डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जोकि साइलेंट किलर की तरह अटैक करती है। पेंक्रियाज ग्रंथी में इंसुलिन का स्त्राव कम हो जाने के कारण खून में ग्लूकोज स्तर समान्य से अधिक या कम हो जाता है, जिसे डायबिटीज कहा जाता है। इंसुलिन एक हॉर्मोन है, जो पाचन ग्रन्थि द्वारा बनता है और भोजन को एनर्जी में बदलने का काम करता है। इसके बिना शरीर शुगर की मात्रा को कंट्रोल नहीं कर पाता, जिससे आप डायबिटीज की चपेट में आ जाते हैं। हालांकि डायबिटीज टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज दो तरह की होती हैं और आज हम आपको यही बताएंगे कि टाइप 1-2 डायबिटीज में क्या फर्क है और इस बीमारी से कैसे बचा जा सकता है।
टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज में फर्क
टाइप 1 डायबिटीज में पैन्क्रियाज की बीटा कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं और इंसुलिन बनना कम या बंद हो जाता है। हालांकि इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। जबकि टाइप-2 डायबिटीज में शुगर का स्तर बढ़ जाता है, जिसे कंट्रोल करना बहुत मुश्किल होता है, जिसमें व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
टाइप 1-2 डायबिटीज के कारण
टाइप 1 डायबिटीज जनेटिक, ऑटो-इम्यून एवं कुछ वायरल संक्रमण के कारण होती हैं। वहीं माता-पिता में से किसी एक को अगर टाइप 1 डायबिटीज की बीमारी है तो बच्चों को भी होने के चांस बढ़ जाते हैं। जबकि टाइप-2 डायबिटीज अनुवांशिक, तनावभरी जिंदगी, अनियमित खानपान, मोटापा, नींद पूरी ना लेना, शारीरिक श्रम का अभाव, ज्यादा एलोपैथी दवाइयों का सेवन और गर्भावस्था में अधिक दवाइयों के खाने से बच्चे को हो सकती है। पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में टाइप-2 डायबिटीज की समस्या अधिक देखने को मिलती है।
टाइप 1 के लक्षण
बार-बार पेशाब आना
बहुत अधिक प्यास लगना
कमजोरी महसूस होना
दिल की धड़कन बढ़ जाना
बिना वजह शरीर कांपना
आंखों से कम दिखाई देना
सांस लेने में दिक्कत
त्वचा में सूखापन
वजन कम होना
हाथ-पैर में झनझनाहट
चोट का लंबे समय तक ठीक ना होना
टाइप 2 के लक्षण
बार बार पेशाब का आना
प्यास अधिक लगना
अत्यधिक भूख लगना
बिना वजह थकान होना
हमेशा नींद जैसी आते रहना
हाथ पैर कांपना और सुन्ना होना
अचानक वजन घटना या बढ़ना
धुंधला दिखाई देना
गुप्तांग के आस-पास लाल निशान
घाव ना भरना
मुंह सूखना
कैसे करें बचाव?
नियमित व्यायाम
नियमित व्यायाम करने से यह रोग दूर रहता है। वर्कआउट, एरोबिक और कार्डियो ट्रेंनिग करने से शरीर में कोशिकाओं की संवेदनशीलता बढ़ती है, जिससे डायबिटीज का खतरा कम होता है।
भरपूर मात्रा में पिएं पानी
भरपूर मात्रा में पानी पिएं और सोडा, जूस या स्क्वैश जैसी ड्रिंक से दूर रहें। शोध के अनुसार, मीठी ड्रिंक से टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा 20 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
वजन को करे कंट्रोल
वजन कंट्रोल में रखें क्योंकि इससे भी टाइप 2 डायबिटीज का खतरा रहता है। इसके आप व्यायाम और हैल्दी डाइट ले सकते हैं।
हैल्दी डाइट
अपनी खानपान की आदतों में सुधार करके डायबिटीज से बचा जा सकता है। अपनी डाइट में मीठी ड्रिंक्स, फास्ट व जंक फूड्स, मसालेदार भोजन, ऑयली फूड और प्रोसेस्ट फूड को आउट कर दें। इसकी बजाए डाइट में हरी सब्जियां, बादाम, फल और अन्य हैल्दी चीजों को शामिल करें।
शराब व धूम्रपान से परहेज
शराब व धूम्रपान करने वाले लोगों में डायबिटीज का खतरा ऐसा न करने वालों की तुलना में 20% ज्यादा होता है इसलिए इनसे दूरी बनाएं।
ना ले तनाव
तनाव के कारण खून में शर्करा की मात्रा का संतुलन गड़बड़ाने लगता है इसलिए ज्यादा स्ट्रेस ना लें। इसके लिए आर योग, मेडिटेशन, हॉट बाथ और मसाज आदि कर सकते हैं।
विटामिन-के युक्तफूड
विटामिन-के लेने से शरीर में इंसुलिन की प्रक्रिया में मदद मिलती है, जो रक्त में ग्लूकोज के स्तर को ठीक रखता है। इससे डायबिटीज का खतरा भी कम होता है और आप अन्य बीमारियों से भी बचे रहते हैं।